जीवन में अध्यात्म जगाती है रामायण : द्विवेदी

जीवन में अध्यात्म जगाती है रामायण : द्विवेदी

इटारसी। काम, क्रोध, मद, लोभ इन चार वाक्यों को जो भी मनुष्य धारण करता है उसका आचरण सदैव खराब होता है और खराब आचरण से जीवन असफलता के गर्त में समाकर बर्बाद हो जाता है।
उक्त उद्गार प्रयागराज के आचार्य पं. अतुल द्विवेदी ने ग्राम पथरौटा में व्यक्त किये। श्रीराम मंदिर प्रांगण पथरोटा में आयोजित श्रीराम कथा समारोह के द्वितीय दिवस में श्रोताओं के समक्ष श्री नारद मोहभंग प्रसंग का वर्णन करते हुए पं. अतुल द्विवेदी ने कहा कि परमात्मा की कृपा से मनुष्य योनी में जन्म लेने वाले प्रत्येक जनमानस को अपने मानव मूल्यों पर चलते हुये सदकर्म करना चाहिए और सद्गुणों को अपनाना चाहिए। काम, क्रोध और मद, लोभ को जीवन में कभी भी धारण नहीं करना चाहिए। चूंकि इनमें असुर प्रवृत्ति होती है, जो जीवन को गर्त बना देती है। श्रीरामचरित मानस जो भी व्यक्ति अर्थ सहित पढ़कर उसे धारण करते हैं। उनके जीवन में यह काम, क्रोध एवं मद, लोभ जैसी बुराई कभी नहीं आती। चूंकि श्री रामचरित मानस अपने भक्त पाठकों को सदैव अच्छाई के मार्ग पर ले जाती है। आचार्य श्री द्विवेदी ने श्री शिव-पार्वती विवाह प्रसंग का भी सुन्दर संगीतमय वर्णन किया। द्वितीय दिवस की कथा के प्रारंभ में श्रीराम मंदिर समिति पथरोटा के सभी सदस्यों ने आचार्य श्री का स्वागत किया। कथा समारोह के तृतीय दिवस में शुक्रवार को श्रीराम जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!