भुजलिया पर्व पर दी एकदूसरे को शुभकामनाएं
इटारसी। सावन के महीने में श्रद्धालुओं द्वारा घरों में बोई गई भुजलिया का रक्षा बंधन के दूसरे दिन धार्मिक आस्था के साथ शोभायात्रा निकालकर पूजन कर बहते पानी में विसर्जन किया। भुजलिया पर्व पर मेहरागांव नदी, नहर में विसर्जन हुआ। कुछ लोगों ने होशंगाबाद में जाकर नर्मदा में भुजलियों का विसर्जन किया।
भुजलिया का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया। रविवार शाम 5 बजे के बाद लोग घरों से भुजरिया की टोकरी कलश यात्रा के साथ सिर पर रखकर नदियों के लिए रवाना हुए। रास्ते में अनेक लोगों ने भुजलिया का पूजन किया। मेहरागांव के राधा-कृष्ण मंदिर से भुजलियों का जुलूस निकाला। ढोल ढमाकों के साथ मेहरागांव नदी और तालाब में भुजरिया का विसर्जन किया। भुजरिया उत्सव के दौरान ग्रामीण अंचलों में होने वाले डंडा नृत्य की छंटा भी देखने को मिली।
श्रद्धालुओं ने भुजलियों का पूजन व आरती कर उन्हें जल में विसर्जित किया। इस दिन गांवों में विसर्जन से पहले डंडे लड़ाने की भी परंपरा है। लोगों ने पहले मंदिर में भुजलिया चढाए। फिर अपने से बड़ों को देकर आशीर्वाद लिया। शहर से सटे मेहरागांव में भुजलिया पर्व का जुलूस निकाला गया।
इसलिए बोते हैं भुजरिया
यह पर्व मुख्य रुप से बुंदेलखंड से आए हुए लोगों द्वारा मनाया जाता है। संस्कृति का प्रवाह लोक रुचि व लोक आस्था से जुड़ा होता है। इसलिए धीरे धीरे इस अंचल में यह व्यापक हो गया है। पर्वों में नई फसल के उत्पादन व संभावनाओं से जुड़े हैं। बताया जाता है कि अपनी कोई मन्नत पूरी होने पर महिलाओं द्वारा इन्हें बोया जाता है। रोज स्नान के बाद साफ जल सींचा जाता है। बगैर स्नान उस जगह (कमरे) में किसी का भी जाना वर्जित होता है। रक्षाबंधन के दूसरे दिन इन्हें पूजन कर विसर्जित किया जाता है।