फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने का मामला
इटारसी। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शासकीय चिकित्सालय के पूर्व मेडिकल आफिसर और वर्तमान में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सुखतवा में पदस्थ डॉ. सुभाष जैन को फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट मामले में कमिश्रर ने शो कॉज नोटिस थमाया है। 19 जून को कार्यालय आयुक्त नर्मदापुरम संभाग कार्यालय से जारी हुए नोटिस की प्रति डॉ.एसपीएम अस्पताल में भी आज शाम पहुंच गई है। डॉ. जैन से सात दिन में जवाब मांगा गया है, अन्यथा एक पक्षीय कार्यवाही करने का जिक्र भी है।
गौरतलब है कि डॉ.सुभाष जैन अस्पताल में ड्यूटी टाइम में अनुपस्थित रहने, मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के अलावा अन्य कई ऐसे ही मामलों में विवादों में रहे हैं। हाल ही में उनके घर में चल रहे क्लीनिक में कुछ युवकों ने हमला करके उनके कर्मचारियों से मारपीट की थी। डॉ. जैन के घर में मेडिकल स्टोर का संचालन किस नियम के तहत हो रहा है, यह भी एक मामला हो सकता है, उनके यहां गर्भवती महिलाओं की जांच होती है, जो दवाएं लिखते हैं, इसी मेडिकल स्टोर से खरीदनी होती है। ऐसे कई उदाहरण हैं डॉ. जैन के विवादों में रहने के। जो बहुचर्चित मामला है, वह है कथित फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने का जिसमें कलेक्टर होशंगाबाद के प्रतिवेदन पर जांच हुई और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व इटारसी और डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी शासकीय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एके शिवानी से जांच करायी गई थी। दोनों ने जांच के दौरान डॉ. जैन द्वारा 18 मार्च 15 से 17 सितंबर 15 तक उनके सोनोग्राफी प्रशिक्षण के दौरान मेडिकल सर्टिफिकेट तैयार करना सिद्ध पाया गया है। इसे उनके कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही की श्रेणी में माना गया है।
सात दिन का वक्त है जवाब के लिए
कमिश्रर की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस में उक्त कृत्य को मप्र सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 के उपनियम (1)(2)(3) के विपरीत होने से दंडनीय माना है। इसके लिए मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 16 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का जिक्र है। नोटिस में डॉ. जैन से कहा गया है कि वे अपना उत्तर सूचना प्राप्ति के सात दिन के भीतर कमिश्रर कार्यालय में प्रस्तुत करें, समयाविध में उत्तर न मिलने की दशा में प्रकरण में एक पक्षीय कार्यवाही की जाएगी।
वर्षों से चल रही है जांच
डॉ. सुभाष जैन द्वारा कथित तौर पर फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने का मामला लंबे समय से चल रहा है। उनके खिलाफ पूर्व अधीक्षक डॉ.आरपी टिकरया भी सीएमएचओ को जांच प्रतिवेदन भेज चुके थे कि डॉ. जैन ने सोनोग्राफी प्रशिक्षण के दौरान भोपाल में रहते हुए मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किए हैं। उन्होंने भोपाल मुख्यालय में रहते हुए शासकीय सील का उपयोग किया है। तत्कालीन सीएमएचओ ने स्वास्थ्य आयुक्त को कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजा था।
यह है मामला
डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी शासकीय चिकित्सालय में मेडिकल आफिसर रहे और वर्तमान में सुखतवा में पदस्थ डॉ.सुभाष जैन पर आरोप है कि वे 18 मार्च 2015 से 17 सितंबर 2015 तक भोपाल में सोनोग्राफी का प्रशिक्षण ले रहे थे। स्वास्थ्य विभाग ने इस अवधि में उनकी रिपोर्टिंग भोपाल मुख्यालय में निर्धारित की थी। इस अवधि में डॉ. जैन ने उमेश चौधरी, पीसी मसीह और मनीराम नामक व्यक्तियों को मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किए हैं। डॉ. जैन को एक नोटिस दिया गया था जिसका वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। डॉ. जैन ने बाबूलाल, संतोष दमाड़े, राजाराम और अनिल नवलानी के भी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाए। इन पर भी स्पष्टीकरण मांगा तो जवाब नहीं दे सके। तत्कालीन सीएमएचओ एएल मरावी ने जांच शुरु करायी तो वे प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए। उनके द्वारा कुछ मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के मामले भी चर्चा में हैं। बताया जाता है कि भोपाल में एक बड़ी एप्रोच से वे हर बार बचते रहे हैं, देखना है कि अब कब तक उन पर कार्रवाई होती है, या यूं ही जांच कागजों में दौड़ती रहेगी?
इनका कहना है…!
हमारे पास कमिश्रर कार्यालय से कारण बताओ नोटिस की प्रति आ गई है। डॉ. जैन को जवाब प्रस्तुत करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है।
डॉ.एके शिवानी, अधीक्षक डॉ.एसपीएम अस्पताल