दिलीप पाल
आमला। ऐसा क्यों लगता है अब तो दुकानों की नीलामी पर ग्रहण सा लग गया है। आए दिन कोई ना कोई शिकायत सामने आ रही है। लोग आरक्षण के इस मुद्दे को कहीं राज्य स्तरीय मुद्दा ना बना दें क्योंकि अभी तक तो दिव्यांग ही अपने आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे थे लेकिन अब तो स्वत्रंता सग्राम सेनानी के आश्रितों ने भी अपना आरक्षण कलेक्टर मांग लिया है। नगर के इतवारी चौक में रहने वाले प्रदीप सोनी ने कलेक्टर को अपनी शिकायत में बताया है कि जनपद पंचायत ने कम्पलेक्स का निर्माण किया है। उसकी नीलामी हेतु निविदा बुलाई है लेकिन उक्त दुकानों की नीलामी प्रक्रिया में स्वत्रंता सेनानी के आश्रितों को आरक्षण नहीं दिया। श्री सोनी ने नीलामी हेतु निकली गई निविदा को निरस्त करने की मांग कलेक्टर से की है। उन्होंने बताया की मेरे पिता स्वत्रंत संग्राम सेनानी थे देश की आजादी के लिए हमारे पूर्वजों ने भी लड़ाई लड़ी थी। हमारे पिता ने देश की सेवा की है हर लड़ाई में वे शामिल रहते थे। लेकिन आमला जनपद पंचायत में स्वत्रंत सग्राम सेनानी के आश्रितो को भी आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। नियम के विपरीत यहा आरक्षण लागू किया जा रहा है। श्री सोनी ने बताया की निविदा बंद लिफाफे को नीलामी नहीं कहते हंै। दुकानों की नीलामी खुली होना चाहिए जिसे लेना है, वो ले सकता है लेकिन यहां नियम कायदे कोई मान्य नहीं हो रहे हंै।
नियम से आरक्षण बदला जाए
जनपद के व्यासायिक काम्प्लेक्स की नीलामी में हुए आरक्षण को लेकर प्रदीप सोनी कलेक्टर से शिकायत की है। प्रदीप सोनी ने बताया की शासन के द्वारा गाईड लाइन के अनुसार स्वत्रंता संग्राम सेनानी के आश्रितों को 3 प्रतिशत और दिव्यांग को इस नीलामी में 3 प्रतिशत का आरक्षण देना चाहिए लेकिन यहा तो पूरे नियम कायदे बेअसर हो गए हैं। प्रदीप सोनी ने कहा ग्राम मोरखा में भी स्वतंत्रता सग्राम सेनानियों के परिवार निवास करते हैं जो कल आमला पहुंच कर अपनी आपत्ति दर्ज करेंगे। अपनी मांगों को लेकर लड़ाई लड़ रहे युवा बेरोजगार सगठन के पदाधिकारियों ने लड़ाई को जारी रखा है। संगठन के अजय सोलंकी, नीलेश राठोर, राकेश धमोड़े ने बताया की ब्लाक क्षेत्र से कई लोग दुकानों के आरक्षण के विरुद्ध है। लोग धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। युवा बेरोजगार संगठन द्वारा आरक्षण की लड़ाई जारी रखी जाएगी जब तक नियम से आरक्षण नहीं किया जाता है।