देर रात तक चला कविताओं को दौर

इटारसी। विकास गणेश उत्सव समिति छटवीं लाइन में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन तेज बारिश के बावजूद प्लास्टिक की पन्नी का पंडाल लगाकर किया जो देर रात्रि 3 बजे समाप्त हुआ। मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद पगारे थे और अध्यक्षता अधिवक्ता रमेश के साहू ने की।
इस अवसर पर कृषि उपज मंडी के सदस्य महेश अग्रवाल, कांग्रेस के स्टेट मीडिया पेनेलिस्ट राजकुमार उपाध्याय, जिला किसान कांग्रेस अध्यक्ष विजय चौधरी बाबू, भाजपा नेता सतीष सावरिया सहित समिति अध्यक्ष हितेष बाबू अग्रवाल, उपाध्यक्ष पुनीत सोनी एवं हरिओम सोनी तथा सचिव गौरव साहू, कोषाध्यक्ष ऋषिराज भारद्वाज सहित समिति के पदाधिकारी और सदस्य मौजूद थे। कवि सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय कवि राजेन्द्र मालवीय आलसी, अशोक चारण जयपुर, अंतु झकास गोंदिया, दीपक दनादन भोपाल, धर्मेन्द्र सोलंकी भोपाल एवं गोविंद श्रीवास्तव गोश्री ने रात्रि 3 बजे तक रचनाएं सुनाई।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद पगारे ने कहा कि वर्तमान परिवेश में चाहे कविता के मंच हो अथवा राजनीति की बिसात, शब्दों का चयन परिवारों के अनुकूल नहीं है। पगारे ने कहा कि अशोक चारण जो वीररस के कवि हैं और जयपुर से हमारे बीच आए हंै, उनकी कविताएं राष्ट्र भक्ति की कविताएं हैं। उन्होंनेे मंच पर बैठे सभी कवियों की प्रशंसा की जो शब्दों की शालीनता के साथ तीखे व्यंग्य, गजल और गीत प्रस्तुत कर रहे थे। अध्यक्षता कर रहे रमेश के साहू ने विकास गणेश उत्सव समिति छटवीं लाइन के युवाओं का आभार माना और कहा कि विपरीत परिस्थितियों में देश के नामी कवि जो हजारों श्रोताओं को रचना सुनाते हंै, उन्होंने तेज बारिश में भी समिति के युवा सदस्यों का मन नहीं दुखाया, और दिल खोलकर कविताएं सुनाई। कवि सम्मेलन का प्रारंभ गोविंद श्रीवास्तव ने गणेश वंदना से किया। कांटों के ऊपर फूलों को खिलने का वरदान मिला। जीवन की धारा को हर पल बाधाओं का दान मिला।। संजीवन संघर्ष बना जिस मानव ने दुख पान किया। पत्थर पर जो दूब उगाई उनको ही सम्मान मिला।। गोंदिया ने आए हास्य व्यंग्य कवि अंतु झकास ने मैं अपने दिल में सोई हुई उम्मीद जगा तो सकता हूं, चेहरा ढंग का नहीं है तो क्या फॉग लगा तो सकता हूं।।
अंतराष्ट्रीय कवि राजेन्द्र मालवीय आलसी ने कहा कि आलसी अंदाज में सब ठाठ पूरे हो गए। और अब जवानी आई है जब 60 पूरे हो गए।। भोपाल से आए धर्मेन्द्र सोलंकी ने कहा कि किसी को सीट न देते भला कश्मीर देंगे हम। तुझे हम चाय न पूछें भला क्या खीर देंगे हम।। तू चिन-चिन-चू के चक्कर में हमें ललकार मत ज्यादा। तेरे घर में घुसेंगे और तुझको चीर देंगे हम।। जयपुर से आए वीर रस के युवा कवि अशोक चारण ने अपनी ऊंचाई के अनुसार ही कविताएं सुनाई और तिरंगे की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि यह जहरीला घूंट न समझो हंसकर मैं पी जाऊंगा। मेरी लाश को मिले तिरंगा मर कर भी जी जाऊंगा।। आयोजन समिति के सचिव गौरव साहू ने आभार व्यक्त किया।

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