दो सौ से अधिक पेशियां बढ़ीं, पक्षकार हुए परेशान

इटारसी। आज वकीलों ने कोर्ट में कोई कामकाज नहीं किया। वे प्रतिकार दिवस मना रहे थे। मप्र हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की कमी को लेकर जल्द से जल्द नियुक्ति की मांग और मप्र में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने सहित प्रदेशभर में वकीलों के साथ हो रही घटनाओं और उनके कथित अपमान के विरोध में वकील आंदोलन कर रहे थे। प्रतिकार दिवस का आह्वान राज्य अधिवक्ता परिषद ने किया था। वकीलों के आंदोलन के कारण आज इटारसी की सभी सात अदालतों में 215 प्रकरणों में पेशियां अगली तारीख के लिए बढ़ा दी गईं हैं।
राज्य अधिवक्ता परिषद के आह्वान पर आज यहां बार एसोसिएशन ने भी आज न्यायालयीन कार्य से विरत रहकर प्रतिकार दिवस मनाया। मप्र उच्च न्यायालय में रिक्त पदों पर न्यायधीशों की नियुक्ति एवं प्रदेश में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने, अधिवक्ता संघ रीवा की मांगों, अधिवक्ताओं पर झूठे प्रकरण बनाने और उन पर हो रहे हमलों के विरोध में राज्य अधिवक्ता परिषद ने यह आह्वान किया था।

राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
अधिवक्ता संघ इटारसी के सदस्यों ने आज न्यायालय में कामकाज नहीं किया और दोपहर में राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार को एक ज्ञापन सौंपा। वकीलों द्वारा कामकाज नहीं करने से सैंकड़ों पेशियां आज अगली तारीख के लिए बढ़ा दी गई हैं। वकीलों ने राष्ट्रपति के नाम दिए ज्ञापन में बताया गया है कि मप्र हाईकोर्ट में स्वीकृत 53 पदों के विरुद्ध मात्र 33 न्यायाधीश कार्य कर रहे हैं जिससे न्यायालय पर काम का बोझ बढ़ रहा है। मामले लंबित रहने से पक्षकार न्याय से वंचित रहते हैं। इसी तरह से प्रदेश में लंबे समय से एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग की जा रही है किन्तु सुनवाई नहीं हो रही है। इससे अधिवक्ता स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इन सब मांगों को लेकर आज इटारसी बार भी प्रदेश स्तरीय आंदोलन में शामिल हुई थी।
आज इटारसी के विभिन्न न्यायालयों में करीब सवा दो सौ प्रकरण लगे थे। वकीलों द्वारा कामकाज नहीं करने से इन सभी प्रकरणों में पेशियां बढ़ाई गई हैं। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रघुवंश पांडेय ने बताया कि आज करीब सवा दो सौ पेशियों को अगली तारीख के लिए बढ़ा दिया गया है।
उन्होंने बताया कि मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद के आह्वान पर आज इटारसी बार एसोसिएशन ने भी न्यायालयीन कार्य से विरत रहकर प्रतिकार दिवस मनाया है। अधिवक्ताओं की लंबे समय से मांग है एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना। इसके अलावा मप्र हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की कम संख्या के कारण काम का बोझ बढ़ रहा है, न्यायाधीशों की नियुक्ति भी हमारी मांग है। अन्य अधिवक्ताओं के साथ होने वाली अपमानजनक घटनाओं का भी हमने विरोध किया है।

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