इटारसी। श्री भागवत कथा ज्ञानयज्ञ समारोह में श्रीकृष्ण रुकमणि विवाह में समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह ठाकुर (बबली) के परिवार ने कन्या पक्ष की भूमिका निभाई और योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की बारात में आए बारातियों का स्वागत किया।
श्रीकृष्ण रूकमणि विवाह के पूर्व नर्मदांचल के जाने माने संत भक्त पं. भगवती प्रसाद तिवारी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह सारा संसार दुखपूर्ण है, जिन लोगों को आत्मसाक्षात्कार नहीं हुआ है, ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ है, वो सभी लोग किसी ना किसी दुख से परेशान है। इस संसार में सिर्फ ज्ञानी व्यक्ति ही पूर्ण सुखी रह सकता है। आत्मज्ञानी के लिए संसार सुख से भरा हुआ है और अज्ञानी के लिए संसार दुख रूप है। जब मनुष्य को आत्मज्ञान हो जाता है, तो फिर उस मनुष्य को कभी भी किसी भी चीज का दुख नहीं होता। आत्मज्ञानी मनुष्य प्रत्येक परिस्थिति में प्रसन्न रहता है, शांत रहता है, खुश रहता है, वह संसार के सत्य को जान लेता है।श्री तिवारी ने कहा कि जितनी इच्छा, जितनी तीव्रता, जितनी तड़प सांसारिक वस्तुओं को पाने की होती है तो सांसारिक वस्तुएँ प्राप्त होती है, उसी तरह ईश्वर को प्राप्त करने, आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए भी वैसी ही तड़प होनी चाहिए, लगन होनी चाहिए, तीव्र इच्छा होनी चाहिए, तभी आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। अपने मन को अच्छा रखो, अपने मन को समझों, अपने मन को अच्छे काम करने के लिए समझाओं, अपने मन को अपने वश में करों, यदि हमारा अपना मन अपने वश में हो जाए, तो हमारे जीवन की लगभग 60 प्रतिशत समस्याओं का समाधान हो सकता है।
भगवान श्रीकृष्ण और बलदाऊ जी सच्चे ज्ञान की प्राप्ति के लिए सद्गुरू की तलाश में निकले। जैसे ही वो सांदीपनी मुनि से मिले तो श्रीकृष्ण और बलदाऊ जी उन्हें देखकर समझ गए कि ये सद्गुरू है और इनकी शरण में रहने से ही हम अपने जीवन को सत्ज्ञान प्राप्त कर सफल बन सकते हैं। श्री तिवारी ने कहा कि कथा सत्संग के माध्यम से हजारों लोगों ने धर्म, अध्यात्म, सद्ज्ञान का लाभ लेकर बुराइयों का त्याग किया। सैकड़ों लोगों ने शराब, गांजा, भांग, मांसाहार, तम्बाखू आदि व्यसन का त्याग कर नव जीवन प्राप्त किया है। कथा करने का मुख्य उद्देश्य समाज को निरोग रहने के ज्ञान के साथ घर, परिवार, समाज, गांव में संगठन, प्रेम, धर्म, अध्यात्म, स्वदेशी, उन्नति से संबंधित विषयों पर चर्चा कर, भारतीय समाज को जागरूक करना हैं। युवा भाई-बहनों को सही मार्गदर्शन देकर उनका भविष्य उज्ज्वल बनाना है। श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम 20 मार्च बुधवार को कथा प्रात: 11 से 1 बजे और 1 बजे से भंडारा होगा।