नदी पुनर्जीवन के लिए हम बार-बार प्रयास करेंगे

होशंगाबाद। नर्मदापुरम् संभाग कमिश्नर उमाकांत उमराव ने कहा कि इससे बड़ा दुर्भाग्य हमारा क्या होगा कि हम जिस नदी को देश की सबसे पवित्र नदी मानते हैं उसे अपनी आंखों के सामने सूखते हुए देखेंगे। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम मां नर्मदा के सूखने से पहले ही उसके लिए कुछ करें।
कमिश्नर उमराव आज रिपेरियन जोन की वर्तमान स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। कमिश्नर ने कहा कि रिपेरियन जोन में गत वर्ष सभी लोगों ने मिलकर जो प्रयास किया वह इतना सफल नहीं रहा किंतु हम हार नहीं मानेंगे और मां नर्मदा के पुर्नजीवन के लिए बार-बार प्रयास करेंगे। हम हर बार गिरेंगे और हर बार उठकर प्रयास करेंगे और एक दिन हमारा यह प्रयास सफल होगा। कमिश्नर ने रिपेरियन जोन में लगे हुए सभी व्यक्तियों से कहा कि वे अपने मन में निराशा की भावना ना लाएं। क्योंकि यदि हम एक बार असफल हुए हैं तो प्रयास करने पर अगली बार जरूर सफल होंगे क्योंकि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं हैं। कमिश्नर ने बताया कि इस वर्ष नर्मदा में मात्र 32 क्यूबेक पानी शेष बचा है। हंडिया में 31 मार्च की स्थिति में 20 क्यूबेक पानी ही है। नर्मदा की सहायक नदियों से जो पानी जमीन के अंदर से होता हुआ नर्मदा में आता था वह पानी और सहायक नदियां समाप्त हो गई हैं।
इस वर्ष हंडिया में 4 से 5 फिट ही पानी था। पंचकोषी यात्रा के लिए नाव नदी से नहीं निकल पाई थी। श्री उमराव ने कहा कि हमारी पीढ़ी स्वार्थी है, हमने आने वाली पीढी के लिए शुद्ध हवा, मिट्टी एवं पानी नहीं छोड़ा है। रिपेरियन जोन में पौधों के अलावा घास, झाड़ी, बेल, फानूस लगाना आवश्यक है क्योंकि इनकी वजह से पानी संरक्षित होकर जमीन के अंदर जाता है और बाद में नर्मदा में मिलता है। हमें वहीं वृक्ष, झाड़, झंकार, लताएं, फानूस पुन: लगाने हैं जो पहले नर्मदा किनारे लगे थे। कमिश्नर ने बताया कि आने वाले समय में पुन: रिपेरियन जोन में पौध रोपण एवं बीज रोपण का कार्य किया जाएगा। बैठक में अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी दीपक राय, समस्त एसडीओ, जनपद सीईओ, तहसीलदार, 68 ग्राम पंचायतों के सचिव एवं सरपंच गण तथा संबंधित अधिकारी मौजूद थे।

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