नर्मदा कछार की भूमि सर्वश्रेष्ठ तपोस्थली : आचार्य

नर्मदा कछार की भूमि सर्वश्रेष्ठ तपोस्थली : आचार्य

इटारसी। भारत वर्ष की समस्त पावन नदियों में मां नर्मदा नदी का महत्व सर्वश्रेष्ठ है। चूंकि त्रिकालदर्शी भगवान शिव की उपासना और आराधना के लिए नर्मदा तटों को सर्वश्रेष्ठ माना है। संसार सागर के बड़े-बड़े ऋषि मुनि महात्माओं ने नर्मदा तट पर ही शिव की तपस्या कर महान संत का दर्जा प्राप्त किया है। उक्त ज्ञानपूर्ण उद्गार इंदौर के युवा आचार्य बृजमोहन महाराज ने नाला मोहल्ला इटारसी में व्यक्त किये।
श्री रघुवर रामायण मंडल एवं गौर परिवार द्वारा आयोजित श्री नर्मदा महापुराण ज्ञान यज्ञ समारोह के छटवे दिवस में उपस्थित श्रोताओं को आचार्य बृजमोहन ने नर्मदा तटों की आध्यात्मिक महिमा श्रवण कराने के साथ ही पीपल के वृक्ष की महिमा से भी अवगत कराते हुए बताया कि एक मुनि पिपलाद हुआ करते थे, जिन्होंने मां नर्मदा के दक्षिण तट पर भगवान शिव की कठौर तपस्या की तो उन्हें देव वृक्ष का वरदान मिला और वह मुनि पिपलाद से देव वृक्ष पीपल के रूप में सदैव के लिए स्थापित हो गए। छटवे दिवस की कथा के अवसर पर दिगंबर अखाड़ा इंदौर के संस्थापक 107 वर्षीय कृष्णदास महाराज भी मंच पर विराजमान हुए तो वहीं इंदौर की प्रसिद्ध भजन गायिका एवं प्रवचनकर्ता बृजमोहन महाराज की धर्मपत्नी सुश्री सीमा वैष्णव ने भी उपस्थित होकर मां नर्मदा एवं भगवान शिव शंकर के मधुर भजनों को अपनी स्वरमयी आवाज में प्रस्तुत किये। उनके भजनों पर संगीत दिया आर्गन वादक पुरुषोत्तम महाराज, तबला वादक दुर्गेश हाडा एवं पेड वादक दिलखुश पवार ने इन मधुर भजनों पर नर्मदापुराण कथा में उपस्थित समस्त श्रोता मंत्रमुग्ध होकर भक्ति में झूम उठे। छटवें दिवस की कथा के प्रारंभ में मुख्य यजवान गीता रघुवर गौर, सुभाष मेहरा, ओपी नागा, बांके बिहारी गौर, राधेश्याम गौर, संयोजक अनिल गौर आदि ने आचार्यश्री का स्वागत किया। संचालन समिति प्रवक्ता गिरीश पटेल ने किया।

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!