नर्मदा पुराण से सात जन्मों के पापों से मुक्त हो जाते हैं
इटारसी। पतित पावनी मां नर्मदा को ब्रम्हा, विष्णु, महेश रूपी त्रिदेव से सर्वाधिक वरदान प्राप्त हुए हैं, इसलिए यह एक अक्षय नदी के रूप में पृथ्वी पर प्रवाहित होती है। जिसकी महिमा का वर्णन श्रवण करने वाले जनमानस सात जन्मों के समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं। उक्त उद्गार इन्दौर के युवा आचार्य श्री बृजमोहन जी उपदेषक ने नाला मोहल्ला इटारसी में व्यक्त किये।
श्री रघुवर रामायण मंडल एवं गौर परिवार द्वारा आयोजित संगीतमय श्री नर्मदा महापुराण कथा उत्सव के द्वितीय उत्सव में उपस्थित श्रोताओं के समक्ष नर्मदा रूपी मानस मंदिकिनी प्रवाहित करते हुए आचार्य बृजमोहन महाराज ने कहा कि तदांतर या कालांतर में आने वाले प्रलयकाल से समस्त सरिता, सागर, पर्वत, क्षयीभूत हो सकते हैं लेकिन माँ नर्मदा सदैव अक्षय बनी रहेगी, चूंकि वह महादेव की रूद्र पुत्री हैं, जो सात कल्पों का अवसान होने पर भी विलुप्त नहीं होती इसलिए महाभागा नर्मदा को संसार सागर में सभी नदियों में सर्वाधिक पुण्यमयी और महापापनाशक बताया है। द्वितीय दिवस की कथा के प्रारंभ में मुख्य यजवान श्रीमती गीता रघुवर गौर के साथ ही ओमप्रकाष नागा, ठा. कालीचरण, रूपेष गौर, सुनील, गोविंद, अईया कलामोर एवं कार्यक्रम संयोजक अनिल गौर ने आचार्य ब्रजमोहन एवं संगीतकार पुरुषोत्तम महाराज का स्वागत किया। संचालन गिरीश पटेल ने किया।