नहीं मिले परिजन, नवजात की बढ़ रही परेशानी

इटारसी। दस दिन पूर्व मिले और सिविल अस्पताल में उपचाररत बच्चे की परेशानी बढ़ती जा रही है। जहां एक ओर उसकी बढ़ती उम्र के साथ उसकी शारीरिक क्रियाओं में परिवर्तन आ रहा है। वहीं अस्पताल प्रबंधन को उसे संभालने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल अधीक्षक एके शिवानी ने इस संबंध में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी होशंगाबाद को एक सप्ताह पूर्व ही पत्र लिखकर मामले से अवगत कराया था। कोई जवाब न मिलने पर अधीक्षक ने एक बार फिर से रिमाइंडर बनाकर भेजा है। बीते माह ही कमेटी का कार्यकाल समाप्त होन से यह कार्य उनके कार्यक्षेत्र से बाहर का हो गया है। नई कमेटी गठन के लिये फिलहाल 27 जनवरी तक तो केवल आवेदन बुलाये गये हैं, और गठन होने के बाद ही कमेटी अधिकार क्षेत्र में आकर कोई कदम उठा सकती है। तब तक के लिये नवजात को यहीं शिशु इकाई वार्ड में रहना पड़ेगा।

गोद लेने आये डेढ़ दर्जन आवेदन
नवजात को गोद लेने अस्पताल अधीक्षक के पास अब तक करीब डेढ़ दर्जन आवेदन आ चुके हैं। चूंकि नवजात बच्चा बालक है, इस कारण लोग उसे अपनाने के लिये आ रहे हैं। इस तरह के मामलों में बच्चे को गोद देने संबंधी क ार्यवाही न्यायालय के कार्यक्षेत्र में आती है। इस कारण उसे पहले शिशु केन्द्र होशंगाबाद में दाखिल कराया जायेगा उसके बाद न्यायालय के आदेशानुसार किसी को गोद दिया जा सकेगा। इन सब प्रपंचों में नवजात को अभी कई महीनों तक किसी परिवार या मां-बाप के प्यार से वंचित रहना पड़ सकता है।

इनका कहना है…!
यहां की कमेटी अधिकारविहीन होने की वजह से हमने हरदा जिले की सीडब्ल्यूसी को पत्र लिखा है। एक दो दिन में वहां की स्वीकृ ति मिल जायेगी तो शिशु को प्रावधान अन्तर्गत शिशु केन्द्र होशंगाबाद में भर्ती करा देंगे।
सतीश भार्गव, महिला सशक्तिकरण अधिकारी

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