निरीक्षण : गेहूं रिजेक्ट करने से किसानों में बढ़ रही नाराजी

Post by: Manju Thakur

इटारसी। इन दिनों समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का कार्य चल रहा है। सहकारी समितियां समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का कार्य कर रही हैं लेकिन ओलावृष्टि और आंधी पानी में जो गेहूं मामूली रूप से खराब हुआ है उसे गुणवत्ता विहीन बताकर शासन द्वारा रिजेक्ट किया जा रहा है। अन्नदाता किसान इस सरकारी रवैए से खासा नाराज है।
अन्नदाता किसानों ने इस वर्ष गेहूं का बंपर उत्पादन किया है। लेकिन प्रकृति के प्रतिकूल प्रभाव से कुछ किसानों के गेहूं में मामूली खराबी आ गयी है। चूंकि वह मार्च के माह में हुई ओलावृष्टि रूपी प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया था। उपरोक्त ओले की मार से गेहूं के दाने का दो प्रतिशत अंश काला पड़ गया था जिसे अब शासन ने समर्थन मूल्य पर खरीदी से मना कर दिया है। गुणवत्ता की जांच में भारतीय खाद्य निगम एवं कृषि विभाग की संयुक्त टीम अब खरीदी केन्द्रों पर पहुंचकर ऐसे गेहूं का रिजेक्ट करा रही है। सहकारी समितियों को भी साफ हिदायत दी जा रही है कि वह इस प्रकार के गेहूं की खरीदी न करे। बुधवार को दिल्ली और भोपाल से आयी संयुक्त जांच टीम ने इटारसी कृषि उपज मंडी में सनखेड़ा सहकारी समिति और इटारसी सहकारी समिति की खरीदी केन्द्र पर निरीक्षण कर दो किसानों का गेहूं रिजेक्ट कर दिया। इस संदर्भ में यहां के खरीदी केन्द्र प्रभारी सौरभ सोलंकी ने बताया कि जिस गेहूं में साढ़ सात प्रतिशत खराबी है, उसे रिजेक्ट किया जा रहा है।
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मेहरागांव के किसान छैलबिहारी पटेल का गेहूं टीम ने रिजेक्ट किया है। किसान ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि शासन हमारे साथ न्याय नहीं कर रहा है। जैसी पैदावार हुई वैसी ही लेकर आ रहे हैं। नहीं खरीदना है तो मंडी गेट से ही वापस क्यों नहीं कर देते? कुछ किसानों ने तो प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर भी नाराजी जतायी। उन्होंने कहा कि सरकार के इशारे पर खरीदी केन्द्र पर बैठे लोग पक्षपात भी कर रहे हैं। चूंकि अनेक किसानों का गेहूं गुणवत्ता के दायरे से बाहर है और इसमें कई बड़़े-बड़े किसान हैं जो खरीदी करने वालों से आर्थिक लेनदेन कर अपना सौ से पांच सौ क्विंटल खराब गेहूं भी तुलवा लेते हैं जबकि छोटे किसानों का 25-30 क्विंटल भी रिजेक्ट कर दिया जाता है। किसानों की मानें तो समर्थन मूल्य पर खरीदी केन्द्रों पर घालमेल चल रहा है और दिल्ली-भोपाल से आने वाली जांच टीम महज औपचारिकता कर चली जाती है और आने से पहले ही वह संबंधित खरीदी केन्द्रों पर सूचना भेज देती है ताकि जो घालमेल होता है, पह प्रत्यक्ष रूप से दिखाई न दे।

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