पचमढ़ी। सतपुड़ा की रानी में सर्द हवाओं के साथ ही काव्य की बयार बही तो यहां मौजूद पर्यटकों ने साहित्य की गर्मी भी महसूस की। अवसर था, पचमढ़ी उत्सव का। यहां हुए कवि सम्मेलन में प्रदेश एवं देश के विभिन्न कोनों से आये ख्याति प्राप्त कवियों ने अपनी काव्य रस के माध्यम से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। देर रात तक चले कवि सम्मेलन में देश के मशहूर शायर राहत इंदौरी ने अपने चुटीले अंदाज में आज की राजनैतिक परिस्थिति पर करारा व्यंग्य किया। उन्होंने कविता के माध्यम से कहा कि आज के युग में एक छोटी सी बात भी जो होती नहीं है, वह मीडिया के माध्यम से खबर बन जाती है। उन्होंने आज के समसामयिक माहौल को इंगित करते हुए कहा कि आज बन के एक हादसा बाजार में आ जायेंगे जो नहीं होगा वह अखबार में आ जायेगा। आज के माहौल पर टिप्पणी करते हुए कहा कि शहरों में तो बारूदों का मौसम है, गांव चलो यह अमरूदों का मौसम है। ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे जो परदेश में है वो किस्से रजाई मांगे। राहत इंदौरी ने पचमढ़ी में काफी देर से आने पर अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि वे मध्यप्रदेश के निवासी हंै और पचमढ़ी मध्यप्रदेश में ही है लेकिन उन्हें पचमढ़ी आने में 50 वर्ष लग गये।
साहित्यकार और कवि अशोक जमनानी ने भी अपनी कविताओं से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। उनका कहना था कि हर मंच पर एक साहित्यकार को बुलाना चाहिए। क्योंकि यदि हम मंच पर साहित्यकार को नहीं बुलायेंगे तो साहित्य से तुलसी एवं कबीर निकल जायेंगे। उन्होंने श्रृंगार और प्रेम की कविता सुनाई। नैनीताल से आयी कवियत्री गौरी मिश्रा ने श्रृंगार एवं प्रकृति प्रेम तथा वीर रस की कविताएं सुनाई। मंदसौर के कवि श्री मुन्ना बेटरी ने खुले में शौच की प्रवृत्ति और उस पर होने वाली राजनैतिक कार्यवाहियों पर करारा व्यंग्य किया। उर्दू की कवियत्री ममता वाजपेई ने सरस्वती वंदना की प्रस्तति दी। कमिश्नर उमाकांत उमराव ने सभी कवियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये। कवि दिनेश बाबरा, सुमित ओरछा, संजीव शर्मा, ममता वाजपेई ने देर रात तक दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। कवि सम्मेलन में केंट सीईओ सत्यम मोहन, अपर आयुक्त आशकृत तिवारी, जिला पंचायत सीईओ पीसी शर्मा सहित अधिकारी, बड़ी संख्या में पर्यटक मौजूद थे।