पता ही नहीं चलता, सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क

इटारसी। सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क? जब तक राहगीर यह समझ पाता है, पैर गड्ढे में चला जाता है। यह हालात हैं धन्यवाद तिराहे से तवानगर तक जाने वाले 15 किलोमीटर के रोड के। करीब पांच वर्ष पूर्व इस रोड की मरम्मत के बाद इसकी ओर जल संसाधन विभाग ने ध्यान ही नहीं दिया बल्कि अब तो यह रोड लोक निर्माण विभाग को स्थानांतरित करने की पूरी योजना के तहत प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी है।
टूटी सड़कों से यात्रा कर रहे तवानगर के लोगों के साथ ही तवा रिजॉर्ट के पर्यटकों को ही परेशानी नहीं हो रही है बल्कि जल संसाधन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों, वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी परेशान हैं।

पंद्रह किमी में 15 सौ गड्ढे
धन्यवाद तिराहे से तवानगर तक महज पंद्रह किलोमीटर रोड के हालात इतने खराब हैं कि यहां पंद्रह सौ गड्ढे होंगे। जब तक वाहन के पहिए को एक गड्ढे से निकालने का प्रयास सफल होता है तब तक पहिया दूसरे गड्ढे में चला जाता है और दो पहिया वाहन चालकों के लिए तो इस रोड से गुजरना एवरेस्ट फतेह करने के समान मालूम होता है। गड्ढे के कारण यदि बैलेंस बिगड़ जाता है वाहन चालक खुद तो चोट खाता ही है दूसरे को भी लगने की पूरी आशंका रहती है। थोड़ी बहुत टूटी-फूटी सड़कें तो पहले से थी ही, बारिश ने खाज में कोढ़ का काम कर दिया है। दो फुट चौड़ा गड्ढा बारिश से फैल कर दोगुना हो गया है। लेकिन शायद जल संसाधन विभाग की ओर से किसी को ध्यान देने की फुर्सत ही नहीं है। तवानगर से हर रोज कोर्ट आने वाले अधिवक्ता भूपेश साहू का कहना है कि यहां का सफर काफी खतरनाक है। वाहन चालक गिरकर घायल हो चुके हैं तो कुछ वाहन फंस भी चुके हैं, जिन्हें बमुश्किल निकाला गया है।

मरम्मत का प्रस्ताव भेजा है
इन हालातों के विषय में जब जल संसाधन विभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर आईडी कुमरे से बात की गई तो उनका कहना था कि पांच वर्ष पूर्व सड़क की मरम्मत करायी थी। अब उसकी म्याद खत्म हो गयी है। फिर से मरम्मत का प्रस्ताव बनाकर भेजा है। उम्मीद है कि बारिश के बाद मरम्मत होगी। उनका कहना है कि पांच वर्ष रोड चल गयी है। बारिश का मौसम है रोड खराब होना आम बात है। बहरहाल बारिश तो दूर की बात है, यदि जल्द ही रोड की मरम्मत नहीं करायी गयी तो वर्तमान में पर्यटन और अपने मौसमी मिजाज के लिए पहचाना जाने वाला तवानगर कहीं हादसों के लिए पहचान न बना ले। यहां की मुख्य सड़क पर मुंह फलाये सैंकड़ों गढ्ढे किसी ना किसी को निगलने के लिए तैयार हैं। यह बात सोचकर आप खुश हो सकते हैं कि रोज बच रहे हैं, हो सकता है कि आपकी किस्मत अच्छी हो। रोज ही आप बच जाएं इसकी गारंटी नहीं है। हम आपको सतर्क कर हैं कि अपनी हिफाजत के लिए चौकन्ना रहें।

पीडब्ल्यूडी को दे रहे सड़क
जल संसाधन विभाग के ईई की मानें तो जल्द ही इस रोड की जिम्मेदारी से विभाग अपना हाथ खींचने वाला है। वैसे भी विभाग के पूर्व अफसरों का कहना था कि अब जबकि तवा परियोजना बंद हो चुकी है तो विभाग का भी कई चीजों से दायित्व खत्म हो रहा है। ईई का कहना है कि लोक निर्माण विभाग को यह रोड स्थानांतरित करने की योजना है और इसके लिए प्रस्ताव सहित सारे कागजात लोक निर्माण विभाग को सौंपे जा चुके हैं। बहरहाल, जब विभाग ने पीडब्ल्यूडी को रोड देने की योजना ही बना ली है तो यह उम्मीद भी कम ही है कि जल संसाधन विभाग इसकी मरम्मत भी कराये। यानी अब आपकी जिम्मेदारी अपनी जान के प्रति बढ़ जाती है। अत: हमारी सलाह है कि वाहन चालन ठीक से करें। क्योंकि मौत का इंतजार कर रहे इन गढ्ढों पर प्रशासन और सरकार की नजर तो फिलहाल नहीं है, अगर होती तो इनके मुंह कब के बंद कर दिए जाते। अब भी यहां तत्काल कुछ सुधार होने की उम्मीद नहीं है।

इनका कहना है…!
पर्यटन ग्राम तवानगर जाने का 15 किमी के रास्ते पर 1500 गड्ढे हो गये हैं जिससे तवा डैम घूमने जाने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बड़े-बड़े गड्डों से आये दिन एक्सीडेंट होने का कारण बना रहता है। भारी बारिश होने पर रोड पर गड्डों में पानी भरे होने से गड्ढे में गाड़ी फंस जाती है। आज तवानगर से इटारसी जाते समय एक टैक्सी रोड पर फंस गई जिसे बमुश्किल सवारियों की मदद से बाहर निकाला गया।
भूपेश साहू, अधिवक्ता

ये कहते हैं अधिकारी
हमने रोड की मरम्मत का प्रस्ताव भेजा है। उम्मीद है बारिश बार इसे रिपेयर करा दें। इसके अलावा यह रोड लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित करने की योजना बनाकर विभाग को सारे कागजात सहित भेज दिये हैं।
आईडी कुमरे, ईई जल संसाधन विभाग

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