पांचवा नदी महोत्सव : 15 जुलाई को 7 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे

सीएम की घोषणा
होशंगाबाद। केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जब तक हम वाटर कन्वरजेंश नहीं करेंगे तब तक देश से जल की समस्या कभी खत्म नहीं होगी, इसलिए हम वाटर कन्वरजेंश को महत्व दें। उन्होंने बताया कि हमें विभाजन के समय 3 नदियां मिलीं। तीन नदी पाकिस्तान को मिलीं। हमारे अधिकार का पानी पाकिस्तान चला गया और हमारे पास जो तीन नदियों का पानी था। उसकी हम चिंता करते हंै, चर्चा करते हैं किंतु जो पानी हमारे पास से दूसरे देश चला गया है, उसकी चिंता हम नहीं करते हैं।
श्री गडकरी यहां नर्मदा और तवा नदी के पावन संगम बांद्राभान में आयोजित नदी महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। बांद्राभान में आज पंचम नदी महोत्सव का शुभारंभ केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राज मार्ग जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर नर्मदा संरक्षण पर कार्य कर रही सभी सामाजिक संस्थाओं, जनअभियान परिषद् के कार्यकर्ताओं, महोत्सव में शामिल सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि 2 प्रकार की नदियां हैं, इनमें से कुछ नदी हिमालय से निकालने वाली नदी है। हमारी धरती का 70 प्रतिशत पानी बेकार चला जाता है। इस 70 प्रतिशत पानी के नियोजन की आवश्यकता है, इसलिए हमने साढ़े 8 लाख करोड़ के 30 प्रोजक्ट बनाए हैं।

hbad16318 2

पैसों की नहीं सही दृष्टिकोण की कमी : गडकरी
हमारे पास पैसों की कमी नहीं है अपितु सही दृष्टिकोण, सही कम्यूनिकेशन की कमी है। भारत सरकार गंगा प्रोजेक्ट पर साढ़े पांच लाख करोड़ के कार्य करेगी। सड़क मार्ग एवं रेल्वे मार्ग से जाने पर अत्यधिक राशि का खर्च होता है किन्तु जल मार्ग से यात्रा करने पर कम खर्च होता है। भारत में लॉजिस्टिकल कॉस्ट 18 प्रतिशत है। यदि हम कैनाल बनाएंगे तो उसे भारतीय आधार पर चलाएंगे। पानी पर चलने वाली बस एवं हवाई जहाज खरीदे हैं, हम नदी का उपयोग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं। श्री गडकरी ने मध्यप्रदेश शासन की सराहना करते हुए कहा कि सरकार पर्यावरण एवं वृक्षारोपण के लिए कार्य कर रही है। हमने 5 वर्ष पहले टॉयलेट का पानी शुद्ध करके 18 करोड़ में बेचा था। इस वर्ष 78 करोड़ में सरकार को पानी बेच रहे हंै। हमने सीवेज से मिथेन निकालकर गंगा पर बस चला रहे हैं। उन्होंने सलाह दी कि ग्राम पंचायत एवं जिला पंचायत सड़क निर्माण पर डामर के साथ 8 प्रतिशत प्लास्टिक डालकर उसका उपयोग करें। श्री गडकरी ने कहा कि समुद्र का पानी भी शुद्ध करके बेचा जा रहा है। नदी महोत्सव से जो चिंतन एवं सुझाव निकलेंगे उस पर भारत सरकार अमल करेगी।

hbad16318 1
संरक्षण के लिए निकाली थी सेवायात्रा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नदी संरक्षण के लिए निकाली नर्मदा सेवा यात्रा 5 माह 5 दिन चली, इससे लोगों में नदी संरक्षण के प्रति एक चेतना का भाव जागृत हुआ। जुलाई माह में 6 करोड़ 63 लाख पौधे लगाए जिसमें से 80 प्रतिशत जीवित हैं। आगामी 15 जुलाई को पुन: 7 करोड़ पौधे लगाएंगे। प्रदेश की 313 नदियों पर श्रमदान कर पुनर्जीवित किया जाएगा, तालाब के पुनर्जीवन पर भी कार्य होगा। नर्मदा किनारे के 20 जिलों मेें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाएंगे। नर्मदा में जल धारा बढ़े, इसकी कार्य योजना बनाएंगे। नर्मदा किनारे के गांव में मुक्तिधाम, पूजन कुंड एवं उस क्षेत्र को नशा मुक्त बनाने का कार्य हो रहा है। वो हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं जिससे जलधारा बढ़े व प्रवाहित हो सके। प्रदेश में गेहूं, चना, उड़द, प्याज, लहसुन का बंपर उत्पादन हुआ है। इनको खपाने एवं रखने की समस्या है। हमने उद्यानिकी विभाग के साथ मिलकर कार्य योजना बनाई है अब किसानों के बच्चे आलू से चिप्स, टमाटर से प्यूरी बनाएंगे। जैविक खेती का अभियान नर्मदा के तट क्षेत्र पर शुरू किया जाएगा। इस नदी महोत्सव में जो भी चिंतन एवं विमर्श प्रतिभागियों द्वारा किया जाएगा उसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।

hbad16318 2
जल, जंगल, जमीन को महत्व देना कम किया
आरएसएस के सरकार्यवाहक सुरेश सोनी ने कहा कि दुनिया भर में नर्मदा नदी एवं सहायक नदियों को लेकर एक चिंतन चल रहा है। हमारी समस्या यह है कि हमने जल, जंगल, जमीन एवं जानवर को महत्व देना कम कर दिया है। हमारी चिंतन की धारा भारतीय ना होकर पश्चिमी हो गई है। प्रारंभ से ही मनुष्य को कहा गया कि विश्व में जो कुछ भी है वो सब तेरा है। मनुष्य के पास पहले चिंतन था, दर्शन था किंतु ताकत नहीं थीं। आज मनुष्य के हाथ में ताकत है। उन्होंने का कि हवा पानी, प्राणी एवं वनस्पति की एक दुनिया है। हमने प्राणी एवं वनस्पति की दुनिया को घर की ड्राइंग रूम में लगे पेंटिंग तक में सीमित कर दिया है। जीवन का अस्तित्व रहे कैसे इस पर हमें चिंतन करना होगा। उन्होंने राजस्थान के जैसलमेर का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां 700 वर्ष पूर्व ही तालाब के पानी के संरक्षण के लिए कार्य शुरू कर दिया गया था। हम तकनीकी का उपयोग कर नदियों को पुनर्जीवन दे सकते हैं। नदी जब एक स्त्रोत तक बहने लगे तब नदी का जीवन है।

हम सृष्टि को सुख का साधन समझते
स्वामी परमात्मानंद जी ने कहा कि जल का संरक्षण हो। हमारी मूल समस्या यह है कि हम सृष्टि को अपने सुख का साधन समझते हैं। यदि हम जल एवं सृष्टि को भोग का नहीं अपितु पूज्य मानेगे तभी जल का संरक्षण हो सकेगा और तभी हम पर्यावरण की रक्षा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि म.प्र. सरकार सामाजिक चेतना को उजागर करने का कार्य कर रही है। ऐसा कार्य किसी अन्य प्रदेश में नहीं हुआ है। विधायक बैरसिया एवं समग्र नर्मदा के न्यासी विष्णु खत्री ने कहा कि विश्व में जितनी भी सभ्यताओं का विकास हुआ है वो सब सभ्यताएं नदी के किनारे विकसित हुई है। हम नदियों की स्तुति मां के रूप में करते है। उन्होंने बताया कि प्रथम नदी महोत्सव बांद्राभान में 2008 में हुआ था। द्वितीय 2010 में, तृतीय 2013 में, चतुर्थ नदी महोत्सव 2015 में हुआ था। इन सभी नदी महोत्सव में नदी संरक्षण अभियान से जुडे हर वर्ग के लोगों ने अपनी सहभागिता निभाई थी।
इसके पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री गडकरी, मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अनिल माधव दवे द्वारा लिखित पुस्तक नर्मदा परिक्रमा मार्ग का विमोचन किया। सतगुरू जग्गी वासुदेव द्वारा नदी महोत्सव के आयोजन पर दिए संदेश का प्रसारण किया जिसमें उन्होंने नदी महोत्सव के लिए सभी को शुभकामनाएं भेजी थीं। कार्यक्रम से पूर्व मुख्य अतिथियों को उत्तरीय एवं अनिल माधव दवे द्वारा लिखित पुस्तक भेंट की गई। कार्यक्रम में सांसद राव उदय प्रताप सिंह, भाजपा के उपाध्यक्ष बृजेश लुनावत, जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष राघवेन्द्र गौतम, प्रदीप पांडे, जिला पंचायत अध्यक्ष कुशल पटेल, विधायक सिवनीमालवा सरताज सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष हरिशंकर जायसवाल एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद थे।

प्रथम दिन आयोजित हुए चार समानांतर सत्र
अनिल माधव दवे परिसर बांद्राभान में 2 दिवसीय नदी महोत्सव के प्रथम दिन नदी संरक्षण के विभिन्न बिंदुओं पर विचार मंथन के लिए चार समानांतर सत्रों का आयोजन किया। नदी किनारे की संस्कृति एवं समाज, नदी कृषि एवं आजीविका का परस्पर संबंध, नदी का अस्तित्व और जैव विविधता तथा सहायक नदियों का संरक्षण-नीतियां, नियम और संभावनाएं इन विषयों पर समानांतर सत्र का आयोजन हुआ। सहायक नदियों का संरक्षण-नीतियां, नियम और संभावनाएं विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध संस्थान के निदेशक डॉ अनिर्बन गांगुली ने की। इस सत्र में विशेषज्ञों का मत था कि सहायक नदियों के संरक्षण के लिए एक समग्र नीति बनाई जाने की आवश्यकता है तभी इस दिशा में सफलतापूर्वक कार्य किया जा सकता है। नदी का अस्तित्व और जैव विविधता विषय पर आधारित सत्र में आर श्रीनिवास मूर्ति, एसपी गौतम तथा अन्य विशेषज्ञों द्वारा विचार मंथन किया, धारा को बढ़ाया जा सकता है। प्रकृति हमारा परिवार है यह बोध अगर बचपन से ही कराया जाए तो हमारी आने वाली पीढी प्रकृति को उपभोग की वस्तु ना समझकर उसकी सेवा के प्रति समर्पित रहेगी।
समानांतर सत्र नदी, कृषि एवं आजीविका का परस्पर संबंध विषय पर विशेषज्ञों ने एक स्वर से कहा कि हमारी नीति पर्यावरण व जल बचाने की है। हमारे पूर्वजों ने प्राचीन काल से नदियों को एवं वृक्षों को जिस तकनीकी से बचाया है उसे तकनीकी को अब हमें वर्तमान में लागू करना होगा। हमें यह देखना होगा कि हमारे पूर्वजो ने प्राचीन पद्धति अपना कर कृषि की थी अब हमें कृषि में परंपरागत खेती की ओर लौटना होगा। रासायनिक खाद का प्रयोग छोडऩा होगा और हमें जैविक खेती की ओर लौटना होगा। समानांतर सत्र में पर्यावरण विधि अशोक माथुर, मानसिंह, अजय झा एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री संजय पासवान ने अपने विचार रखे।

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!