पाइप लाइन खरीदी संबंधी बयान पर टारगेट पर आए कांग्रेस नेता

इटारसी। पिछले दिनों जल आवर्धन योजना में पाइप खरीदी में कथित भ्रष्टाचार की बात कर नगर पालिका परिषद को कटघरे में खड़े करने के प्रयास में युवक कांग्रेस के मीडिया समन्वयक अमोल उपाध्याय अब भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही निशाने पर आ गये हैं। दरअसल, जल आवर्धन योजना में पाइप खरीदी का ज्यादातर काम कांग्रेस के शासनकाल में हुआ था और उन्होंने खरीदी में भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर अपने ही तत्कालीन अध्यक्ष रविकिशोर जैसवाल को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उनके सोशल मीडिया पर सवाल उठाते ही चर्चा चलने लगी है कि क्यों अपनी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष को ही कांग्रेस नेता घेरना चाहते हंै?
युवक कांग्रेस मीडिया समन्वयक अमोल उपाध्याय द्वारा 27 जून को जल आवर्धन योजना की पाइप खरीदी में भ्रष्टाचार के आरोप लगाने से अब भाजपा को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया है। दरअसल, ज्यादातर पाइप खरीदी कांग्रेस शासित नगर पालिका के दौर में हुई थी। इसे आगामी नगर पालिका चुनाव में टिकट की दौड़ में अपनों की टांग खिंचाई के तौर पर भी देखा जा रहा है।
चुनावी दांवपेंच से जोड़कर देख रहे
दरअसल, इस साल के अंत या अगले वर्ष के प्रारंभ में नगर पालिका चुनाव संभावित हैं। ऐसे में कांग्रेस हो या भाजपा पहली लड़ाई तो अपनों से ही लडऩी पड़ती है और अपनी ही पार्टी के नेताओं को पटखनी देने का खेल चलता है। ये सारी लड़ाई टिकट के लिए होती है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस तरह के निशाने साधकर अब कांग्रेसी टिकट की लड़ाई का आगाज कर चुके हैं। भीतरखाने चर्चा है कि अमोल उपाध्याय के इस तरह से सवाल उठाने पर कतिपय नेताओं में नाराजी तो है, यह कयास भी लगाए जाने लगे हैं कि आखिर अमोल उपाध्याय ने यह सब खुद किया है या किसी के इशारे पर। सवाल यह भी है कि नगरपालिका चुनाव नजदीक आते ही अमोल उपाध्याय ने क्यों वर्तमान नगर पालिका की आड़ में पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष के कार्यकाल में हुए जलावर्धन पाइप लाइन खरीदी का मामला उठाया?
भाजपा को मिला मुद्दा
बता दें कि श्री उपाध्याय ने पूर्व नपाध्यक्ष के कार्यकाल में हुई करोड़ों की पाइपलाइन की खरीदी की जांच की मांग कर दी। ऐसा करके उन्होंने बैठे-बिठाए भारतीय जनता पार्टी को भी एक मुद्दा दे दिया। भाजपा ने भी इसे लपकने में देरी नहीं की। मंगलवार को भाजपा पिछड़ा वर्ग के जिला अध्यक्ष जयकिशोर चौधरी ने बयान जारी करके कहा है कि अमोल उपाध्याय द्वारा जो मांग उठाई गई है हम उसका समर्थन करते हंै, और कलेक्टर से दोषियों पर कार्यवाही की मांग करते हैं। हालांकि इस प्रकार के आरोपों पर बचाव करते हुए पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रविकिशोर जैसवाल ने कहा है कि न पहले भ्रष्टाचार हुआ था और ना अभी हुआ है। योजना में देरी होने से लागत बढ़ती चली गयी है।
अमोल ने कहा परिषद दोषी नहीं
युवक कांग्रेस मीडिया समन्वयक अमोल उपाध्याय ने 27 जून को कलेक्टर को एक मांग पत्र सौंपकर जल आवर्धन योजना में भ्रष्टाचार का मामला उठाया था और पूरे मामले में जांच की मांग की थी। उन्होंने इस योजना में पाइप लाइन खरीदी की जांच पर ज्यादा जोर दिया था। लेकिन, बाद में यह हुआ कि पाइप लाइन की ज्यादातर खरीदी कांग्रेस शासित नगर पालिका में हुई थी। माना जाने लगा कि उन्होंने अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष पर निशाना साधा है। इस सवाल पर उपाध्याय ने कहा कि मामले को मोडऩे का प्रयास किया जा रहा है, जबकि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। अमोल उपाध्याय ने अब मामले में दोनों परिषद को क्लीन चिट दे दी है। उनका कहना है कि इसमें परिषद दोषी नहीं है, बल्कि वे अफसर दोषी हैं जिन्होंने परिषद को धोखे में रखकर पाइप खरीदी और अन्य प्लानिंग की है।
उल्लेखनीय है कि कुल 24 करोड़ रुपए की इस योजना में पाइप लाइन खरीदी में करीब 16 करोड़ 42 लाख का भुगतान तत्कालीन कांग्रेस शासित नगर पालिका अध्यक्ष रविकिशोर जैसवाल के कार्यकाल में हुआ था। वर्तमान भाजपा शासनकाल में पाइप लाइन विस्तार के लिए 5 करोड़ 9 लाख का भुगतान ही हुआ है।

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