पार्थिव ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर का पूजन एवं रूद्राभिषेक

Post by: Manju Thakur

इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कडग़ंज में आज पार्थिव ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर का पूजन एवं अभिषेक किया गया। मुख्य आचार्य पं. जीवनलाल शास्त्री आचार्य सत्येन्द्र पांडेय, हेमंत तिवारी, पीयूष पांडेय, अतुल मिश्रा ने यजमानों एवं भक्तों से पूजन और रूद्राभिषेक संपन्न कराया। 25 दिनों तक वैदिक ब्राम्हणों ने अरब सागर और 7 पवित्र नदियों के जल तीर्थ क्षेत्रों और श्मशान की मिट्टी से ज्योर्तिलिंग एवं शिवलिंगों का निर्माण कर पूजन एवं अभिषेक संपन्न कराया।
पं. जीवनलाल शास्त्री ने कहा कि जब से ज्योर्तिलिंग पूजन श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में प्रारंभ हुआ है। उसी दिन 13 अगस्त से इंद्रदेव की कृपा इटारसी पर बनी हुई है, और इस वर्ष फसल अच्छी होगी। श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के संबंध में पं. जीवनलाल शास्त्री ने कहा कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद से पश्चिम की ओर लगभग 30 किमी दूरी पर बेरूल गांव के समीप शिवालय नाम के तीर्थ स्थान पर घृष्णेश्वर का दिव्य ज्योर्तिलिंग स्थित है। बेरूल गांव में नागपूजक आदिवासी रहते थे, नागों का स्थान बॉबी होता है। जिसे मराठी में बारूल कहते हंै। समय के रहते बारूल के नाम का अपभ्रंश हुआ एवं यह स्थान बेरूल के नाम से पहचाना जाता है।
यहां समीप ही येल गंगा नदी बहती है। यहां पर किसी समय आदिवासी राजा ऐलक राज्य करता था। पं. शास्त्री ने कहा कि इसी शिवालय में सिवना नदी आकर मिलती है। इसी क्षेत्र में पार्वती और शंकर की कई कथाएं प्रचलित हैं। इस ज्योर्तिलिंग के संबंध में यह भी कहा जाता है कि भगवान शंकर के त्रिशूल से इसे पाताल से निकाला गया है। मंदिर समिति के अध्यक्ष प्रमोद पगारे ने आज सभी वैदिक ब्राम्हणों का सम्मान किया और अपेक्षा की कि वर्ष 2019 में और बेहतर तरीके से इस आयोजन को किया जाएगा।

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