पार्थिव शिवलिंग का पूजन एवं रूद्राभिषेक किया

इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कडग़ंज में भगवान भोलेनाथ के पार्थिव स्वरूप का निर्माण कर पूजन एवं रूद्राभिषेक किया गया। मुख्य आचार्य विनोद दुबे एवं आचार्यगण सत्येन्द्र पांडे, पीयूष पांडे ने पूजन एवं रूद्राभिषेक कराया।
शिवलिंग पूजन के अवसर पर भक्तों को संबोधित करते हुए सत्येन्द्र पांडे ने कहा कि आप सभी ने भगवान शंकर का चेहरा देखा है अथवा उनकी नवरात्रि के अवसर पर स्थापित होने वाली प्रतिमा भी देखी है भगवान शिव की जटाओं में एक चंद्र का चिन्ह होता है उनके मस्तिष्क पर तीसरी आंख है एवं गले में वह सदैव सर्प और रूद्राक्ष की माला लपेटे होते है उनके एक हाथ में डमरू तो दूसरे में त्रिशूल रहता है तथा संपूर्ण शरीर पर श्मशान की चिता की भस्म लगाए रहते हैं, उनके शरीर के निचले हिस्से में शेर की खाल से ढांक कर रखते हैं, बैल की सवारी करते हंै और कैलाश पर्वत पर ध्यान लगाकर बैठते है उनकी पत्नी पार्वती तथा गणेश एवं कार्तिकेय उनके पुत्र है। सत्येन्द्र पांडे ने कहा कि शिव ही शून्य है और शून्य से ही सृष्टि की स्थापना हुई है। सृष्टि में भगवान शिव की सत्य है। सुर और असुरों में जब समुद्र मंथन हुआ तो देवता अमृत ले गए लेकिन जहर भगवान शंकर ने पीया। कलयुग में भगवान शिव की पूजन सावन मास में करने पर अपना एक अलग महत्व है। सावन मास में भगवान शिव कैलाश पर्वत से निकलकर सृष्टि में विचरण करते है, और जो भक्त उनका श्रद्धा भाव से पूजन और अभिषेक करते है उनके वह हर मनोरथ पूरे करते है। इटारसी में श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर एकलौता स्थान है जहां पर पूरे सावनमास भगवान शिव का पूजन एवं अभिषेक किया जाता है। अरब सागर एवं सात पवित्र नदियों के जल से भगवान का प्रतिदिन अभिषेक होता है तथा श्मशान की मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग तैयार किया जाता हैं उन्होंने कहा कि कोई भी श्रद्धालु आकर भगवान शिव का अभिषेक कर सकता है इसमें किसी प्रकार का कोई बंधन नहीं है। मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया एवं विधि विधान पूर्वक भगवान शिव का पूजन एवं अभिषेक कराया। सत्येन्द्र पांडे ने कहा कि इस समय इटारसी में वर्षा अभाव है और सारे जल स्त्रोत सूख हैं। हमें सावन मास में अच्छी बारिश के लिए भगवान शिव को मनाना चाहिए।

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