प्रान्तीय गोष्ठी भारत भारती में सम्पन्न

Post by: Manju Thakur

बैतूल। जनजाति समाज की मूलभूत समस्याओं पर चर्चा करने के लिए जनजाति विकास मंच मध्यभारत द्वारा भारत भारती में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें समाज के प्रबुद्धजनों ने जनजाति समाज की शिक्षा, रोजगार, वनाधिकार, भाषा, संस्कृति, साहित्य आदि विषयों पर विचार विमर्श किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ अतिथि हेमराज बारस्कर, बुधपाल सिंह, दुर्गादास उइके, श्याम धुर्वे ने भारत माता, श्री राम व महारानी दुर्गावती के चित्र पर पूजन व माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
प्रथम सत्र में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दुर्गादास उइके ने कहा कि जनजाति समाज को अपने गौरवपूर्ण इतिहास का स्मरण करना होगा। मुगलों और अंग्रेजों ने हमारे साम्राज्य और संस्कृति को नष्ट-भ्रष्ट किया। हमे अपने सही इतिहास को नई पीढ़ी को बताना होगा।
जनजाति विकास मंच के श्री श्याम धुर्वे ने कहा अगर किसी जाति का भाषा साहित्य इतिहास नहीं है तो वह समाज लुप्त हो जाएगा। जनजाति समाज को आगे बढ़ाने के लिए हमें उसे शिक्षित बनाना होगा। उन्होंने कहा जनजाति समाज अलगाववादी नहीं सामंजस्यवादी है। जनजाति समाज ने ही जंगल और प्रकृति की रक्षा की है। वन अधिकार अधिनियम पंचायत अधिनियम आदि अधिकारों को लेकर समाज में वैचारिक क्रांति लानी होगी ।
बुधपाल सिंह विकास मंच के क्षेत्रीय कार्यकारणी सदस्य ने कहा कि अंग्रेजों से सबसे ज्यादा संघर्ष जनजातियों ने किया। बैतूल सतपुड़ा में स्वतंत्रता की अलख जगाने के लिए जनजाति क्रांतिकारियों का सबसे ज्यादा योगदान रहा । सरदार विष्णु सिंह, क्रांतिकारी गंजन सिंह कोरकू, कोवा गोंड़, बिरसा गोंड़, रमको बाई, जंगू सिंह उइके आदि क्रांतिकारियों ने भारत छोड़ो आंदोलन एवं जंगल सत्याग्रह के माध्यम से अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा। फलस्वरुप आज हमें आज़ादी तो मिल गई लेकिन संविधान में प्रदत्त मूल अधिकारों को प्राप्त करने के लिए संगठित होकर संघर्ष करना होगा साथ ही हमें अपने राष्ट्रीय कर्तव्यों का ही पालन करना होगा।
श्री हेमराज बसरस्कर ने कहा समाज का हर व्यक्ति अपने बच्चों को शिक्षित करें। उन्होंने कहा कि जनजाति समाज ने भगवान श्रीराम से लेकर शिवाजी महाराणा प्रताप तथा स्वतंत्रता संग्राम में देश की रक्षा के लिए अपना योगदान दिया।
जनजाति शिक्षा के क्षेत्र प्रमुख श्री मोहन नागर ने अपने वक्तव्य में कहा कि अंग्रेजों तथा साम्यवादी इतिहासकारों ने जनजाति समाज के शौर्य पूर्ण पहचान को भारतीय इतिहास विलोपित कर दिया। आज जनजाति समाज को हिंदू समाज से अलग करने के लिए मिशनरी व माओवादी षड्यंत्र कारी गतिविधियां दिन रात लगी हुई है।
विचार गोष्ठी में जनजाति विकास मंच की जिला कार्यकारणी एवं जिला अध्ययन टोली का गठन किया गया । विचार गोष्ठी में प्रमुख रूप से सर्व हेमराज बारस्कर, श्याम धुर्वे, नागोराव सिरसाम, पूरन लाल परते, राजेश वरटी, अनिल उइके, श्याम ढाकरे, कपिल खंडेलवार, संजीव कवड़े आदि गणमान्य व्यक्ति ने अपने विचार व्यक्त किये ।
कार्यक्रम का संचालन पूरनलाल परते एवं आभार प्रदर्शन नागोराव सिरसाम ने किया।

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