फर्जी नामांतरण कर बेची जमीन से कब्जा हटाया

इटारसी। कोर्ट के फैसले के बाद सोमवार को ग्राम पीपलढाना के पास छोटे घास की करीब 34.40 एकड़ सरकारी जमीन से कब्जा हटाकर मुक्त करायी गयी। यह जमीन तीन खरीदारों को फर्जी नामांतरण करके बेची गयी थी, जो एसडीएम हरेन्द्र नारायण, तहसीलदार तृप्ति पटेरिया, नायब तहसीलदार ऋतु भार्गव ने पथरोटा पुलिस के साथ जाकर रिक्त कराके शासन के कब्जे में ली।
सोमवार 30 नबंबर 2019 को तृतीय अपर अतिरिक्त जिला न्यायाधीश संजय पांडेय के न्यायालय ने तीन प्रकरणों में जमीन को शासन के नाम से दर्ज कर कब्जाधारियों से जमीन मुक्त कराते हुए शासन के नाम से राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने के आदेश किये। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी करने वाले अतिरिक्त लोक अभियोजन अधिकारी भूरेसिंह भदौरिया ने बताया कि आदेश के पालन में प्रशासन ने सरकारी जमीन पर डटे कब्जाधारियों से जमीन वापस लेकर कब्जे खाली कराए। अब यह जमीन शासन के नाम छोटे घास की जमीन के रूप में दर्ज हुई है।

यह है मामला…
सन् 1954 से पीपलढाना में खसरा क्रमांक 422 एवं 471 पर करीब 34.40 एकड़ शासकीय छोटे घास की जमीन थी। पटवारी की मिलीभगत से जोगिंदर सिंह, जसवंत सिह, दीनानाथ एवं अन्य ने अपने नाम फर्जी तरीके से जमीन दर्ज कराई और इसे शिवबाई गालर, हीरू सोलंकी, रामदीन मुकुंद सिंह, पूरन सिंह हरनाम सिंह, सुखदेव किरार, प्रेमबाई, जिम्मी कैथवास, पुष्पा धाकड़े एवं विनीता अग्रवाल को बेच दी। कई सालों से इस जमीन पर खरीददारों का कब्जा रहा और लगातार वे इस जमीन पर खेती कर फायदा लेते रहे। वर्ष 2008 में हुई एक अज्ञात शिकायत के आधार पर अतिरिक्त तहसीलदार ने जांच करते हुए तय किया कि विक्रेताओं का जमीन से कोई लेना देना नहीं है, सरकारी दस्तावेजों में गलत ढंग से नामांतरण हुआ है और सभी रजिस्ट्री एवं नामांतरण शून्य करने योग्य हैं। मामले में तहसीलदार एवं पटवारी ने प्रतिवेदन देकर जमीन को शासन द्वारा कब्जे में लेने के प्रयास कराए और परिवादियों पर 27 जनवरी 2011 को अतिक्रमण का मामला दर्ज कराते हुए जमीन को शासकीय कब्जे में ले लिया, लेकिन इस फैसले के विरूद्ध परिवादी कोर्ट अपील में चले गए। कोर्ट ने सोमवार को इसे रिक्त कराने के आदेश पारित किये और राजस्व की टीम ने पुलिस के साथ जाकर इस जमीन को मुक्त कराया।

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