इटारसी। पुलिस ने प्रियदर्शिनी नगर योजना क्रमांक एक प्लाट नंबर 81-ए को धोखाधड़ी कर बेचने के मामले में दो लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण पंजीबद्ध किया है। मामले में नगर पालिका के सहायक राजस्व निरीक्षक संजीव पिता रामशंकर श्रीवास्तव, निवासी गांधीनगर और यूसुफ अली राजा सैफी पिता शब्बीर हुसैन निवासी तेरहवी लाइन के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया है।
इस प्रकरण में शंकर रसाल पिता अशोक, निवासी छोटा सराफा इटारसी ने शिकायत दर्ज करायी है। पुलिस के अनुसार मामले में फर्जी प्लाट में रजिस्ट्री कराकर दूसरे को बेचना बताया है। मामले में सहायक उपनिरीक्षक एचके शुक्ला जांच कर रहे हैं। एफआईआर करने से पहले दोनों को पुलिस ने घर से गिरफ्तार कर लिया है। करीब दो माह से इस मामले की जांच चल रही थी। आखिरकार पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर ली। 10 अक्टूबर 2017 से 20 मार्च 2018 तक न्यास के फर्जी भूखंड के नाम पर धोखाधड़ी करने की बात लिखी गई है।
यह है पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि यह मामला पिछले करीब दो माह से चर्चा में है। मामले में सीएमओ हरिओम वर्मा एआरआई संजीव श्रीवास्तव को निलंबित कर चुके हैं। दरअसल राजस्व विभाग के इस अधिकारी ने स्टाम्प वेंडर राजा सैफी के साथ कथित सांठगांठ कर न्यास कॉलोनी में सार्वजनिक उपयोग हेतु छोड़ी गयी रिक्त भूमि पर फर्जी प्लॉट विकसित करके बेच दिया है। यहां कुल 80 एलआई (ए-बी टाइप) भूखण्ड थे। मूल ले-आउट प्लान में फजऱ्ी भूखण्ड 81-ए नम्बर बताकर विकसित किया गया था। यह भी आश्चर्य है कि यहां सभी प्लाट 800 स्क्वायर फीट के हैं जबकि फर्जी भूखंड की 1000 स्क्वायर फीट की रजिस्ट्री कर दी गई थी।
मामले में संबंधित से आवंटन के बदले में 9 लाख रुपए तो लिए हैं लेकिन यह राशि नगरपालिका कोष में जमा नहीं की गई। आरोपियों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि जो रसीदें जारी की गई हैं वह भी फर्जी रसीद कट्टा छपवाकर काटी गई हैं, क्योंकि नगर पालिका में वही रसीदें अन्य नाम से दर्ज बता रही हैं। अब पुलिस ने संजीव श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया है और राजा सैफी भी हिरासत में है। माना जा रहा है कि ऐसे में और भी कई प्रकरण खुलने की संभावना है।
प्रकरण के अनुसार सराफा कारोबारी शंकर रसाल को एआरआई संजीव श्रीवास्तव ने सस्ती कीमत पर मौके पर प्लाट दिलाने का झांसा दिया। रसाल को प्लाट बताकर इसका सौदा 9 लाख में कर पूरा पैसा प्राप्त कर लिया। सरकारी नक्शे में छेड़छाड़ करते हुए न्यास द्वारा कॉलोनी विकसित करते समय सार्वजनिक उपयोग हेतु छोड़ी गई रिक्त भूमि को प्लॉट दर्शाते हुए इसका सौदा कर दिया था। रजिस्ट्री में कहा कि प्लाट की कीमत प्राप्त कर ली है। रजिस्ट्री के बाद रसाल को आधिपत्य भी दे दिया था।
निलंबन के बाद एफआईआर
मामले की शिकायत कन्हैया गुरयानी ने कलेक्टर, एसडीएम एवं सीएमओ को की थी, शिकायत जांच में सही पाते ही पहले एआरआई संजीव श्रीवास्तव को सीएमओ हरिओम वर्मा ने सस्पेंड कर दिया था, इसके बाद एफआईआर के लिए पुलिस ने कार्रवाई शुरू की। एसडीएम हरेन्द्र नारायण ने भी प्रतिवेदन पेश किया था। मामले का खुलासा होते ही भूखंड खरीदी के लिए पैसा देने वाले सराफा कारोबारी शंकर रसाल की पत्नी शुभांगी ने भी थाने में शिकायत कर बताया कि उन्हें संजीव श्रीवास्तव व तीन अन्य ने फंसाते हुए प्लाट बेचा और 9 लाख रुपए लिए। संजीव श्रीवास्तव, सर्विस प्रोवाइडर राजा सैफी, उपपंजीयक आनंद पांडे ने एक राय होकर फंसाया, हालांकि पुलिस ने दो लोगों पर ही मामला पंजीबद्ध किया है।
पूर्व सीएमओ पर भी संदेह
इस पूरे मामले में तत्कालीन सीएमओ अक्षत बुंदेला एवं रजिस्ट्रार आनंद पांडेय का नाम भी आया था, हालांकि उनका कहना था कि उनके पत्र का गलत उपयोग किया गया। पांडेय ने कहा कि उनकी कोई भूमिका नहीं थी। रसाल ने शिकायत में आरोप लगाया था कि रजिस्ट्रार आनंद पांडेय और सैफी ने उनसे दो लाख रुपए लिए, जबकि नौ लाख रुपए श्रीवास्तव को दिए थे।
इनका कहना है…
पुलिस ने शिकायत एवं प्रतिवेदन आधार पर प्लान क्रेता शंकर रसाल की रिपोर्ट पर नपा कर्मचारी एवं स्टाम्प वेंडर के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध किया है।
एचके शुक्ला, जांच अधिकारी