बच्ची गोद लेना पड़ गया भारी

इटारसी। केन्द्रीय विद्यालय के एक शिक्षक को एक बच्ची गोद लेना भारी पड़ गया। दरअसल, बच्ची की मां ने बच्ची को गोद देने के एक सप्ताह बाद अपने निर्णय से पलट गयी और मामला पुलिस तक पहुंच गया है। पहले केन्द्रीय विद्यालय सीपीई में पदस्थ यह शिक्षक वर्तमान में भोपाल में है। नि:संतान होने के कारण उन्होंने बच्ची को गोद लिया था। लेकिन कानूनी प्रक्रिया पूरी किये बिना यह कदम उनको भारी पड़ गया।
मिली जानकारी के अनुसार सेंट्रल स्कूल भोपाल में पदस्थ शिक्षक रूपेश बरैया एवं उनकी पत्नी हेमलता ने निसंतान होने से बच्ची गोद ली थी। दरअसल, वे पहले इटारसी में ही पदस्थ थे। यहां एमसीओ में पदस्थ नर्स सुनीता से उन्होंने किसी बच्चे को गोद लेने के लिए मदद मांगी थी। सुनीता ने दयाल अस्पताल में पदस्थ नर्स वंदना से कहा था कि वह मदद करे। वंदना भी बरैया को इसलिए जानती थी क्योंकि उसका भाई केन्द्रीय स्कूल में पढ़ता था। कुछ माह पहले दयाल हॉस्पिटल में हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी मांगवती पत्नी रूपेश कोरकू ने आकर नर्सो से कहा कि उसकी दो बेटियां पहले से हैं, अब फिर गभवती है। पति बच्चा नहीं चाहता इसलिए गर्भपात कराना है। वंदना ने मांगवती को बरैया के विषय में जानकारी देकर कहा कि तुम गर्भपात मत कराओ, भोपाल में एक निसंतान दंपत्ति हैं, उन्हें यह बच्चा गोदनामा कर देना। यह भी कहा कि यदि लड़का हो और तुम्हें रखना हो तो रख लेना। यदि लड़की भी हुई तो दंपत्ति इसे रख लेंगे। महिला ने गर्भपात नहीं कराया। 5 जुलाई को उसने इसी अस्पताल में बेटी को जन्म दिया। यही बच्ची बरैया दंपत्ति के पास थी।
अब मांगवती का कहना है कि मेरे पति ने नशे में हां कर दी थी, बच्ची को दो दिन बाद नर्स टीका लगाने के नाम पर ले गई ओर वापस नहीं किया। मेरी दो बच्चियां पहले से हैं, हमारी हालत भी ठीक नहीं है, मुझे बच्ची देने में हर्ज नहीं हैं लेकिन मैं चाहती हूं कि उसकी सुरक्षा के लिए पहले उसके नाम से पैसा जमा करा दिया जाए, जिससे उसका भविष्य सुरक्षित हो।

बरैया दंपत्ति का पक्ष यह है
शिक्षक रूपेश बरैया का कहना है कि नर्स ने उन्हें बताया था। वे तो पूरी कानूनी कार्रवाई करते लेकिन वकील ने शपथपत्र पर गोदनामा करा दिया। मांगवती ने शपथपत्र में बच्ची गोद करने की सहमति दी थी। इस वजह से हम बच्ची को ले गए। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी को संतान नहीं हो सकती। वे तो बच्ची को पाल ही रहे थे कि मांगवती थाने पहुंच गई। इस वजह से बच्ची को लेकर वापस आए हैं। हमने इनकी हालत को देखते हुए दोनों बेटियों के सुकन्या खातों में 50 हजार रुपए भी दिए हैं। संभव हुआ तो आगे भी मदद कर देंगे। उन्होंने बच्ची का नाम भी खुशी रखा है। वे चाहते हैं कि कानूनी कार्रवाई के बाद वह हमें ही मिले।

ऐसे हुआ मामले का खुलासा
बच्ची को गोद देने के महीने भर बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के जरिए पूरे मामले का खुलासा हुआ। दरअसल प्रसूति के दौरान मांगवती का परिवार हाउसिंग बोर्ड में रहता था, वार्ड तीन की आंगनबाड़ी में उसका पंजीयन और 9 माह तक इलाज हुआ था। दो दिन पहले जब कार्यकर्ता को मांगवती मिली तो उसने पूछा कि तेरी बच्ची कहां है, उसे टीके लगाना है। तब उसने रोते हुए कार्यकर्ता को जानकारी दी। हिन्दू संगठन का कार्यकर्ता रिंकू रायकवार की मां भी केन्द्र पर थी, उसने रिंकू को बताया फिर प्रभात तिवारी, मूलचंद्र साध, जगवीर राजवंशी एवं अन्य सदस्य बुधवार रात थाने पहुंचे। उन्हें लगा कि कहीं नर्सों की मिलीभगत से बच्चों की खरीदी-फरोख्त का रैकेट तो नहीं चल रहा है। इसी आशंका पर वे बच्ची के माता-पिता को लेकर थाने पहुंचे थे।
टीआई आरएस चौहान का कहना है कि मामला जांच में लिया गया है। दोनों पक्षों के बयान हुए हैं। दोनों नर्सो से भी पूछताछ की जा रही है। बच्ची के परिजनों और निसंतान दंपत्ति का पक्ष लेकर विधि सम्मत तरीके से ही गोदनामा हो सकता है, यदि महिला बच्ची को देने को राजी है तो दत्तक ग्रहण एक्ट के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। गोदनामे में नर्सो की भूमिका संदिग्ध होगी तो उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
बच्ची को गोद लेने वाले शिक्षक रूपेश कुमार बरैया का कहना था कि मुझे कानूनी जानकारी नहीं थी, हमें नर्सों ने बताया तो सहमति के बाद ही बच्ची को ले गए थे। एक माह बाद अचानक शिकायत कर दी गई। हमने दोनों बेटियों की परवरिश के लिए 50 हजार रुपए भी जमा कराए हैं। यदि मांगवती राजी है तो हम कानूनी कार्रवाई करा लेंगे। इस घटना से मेरी पत्नी भी तनाव में है, हमारी नीयत साफ है।

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