बेमौसम बारिश से खरीद केन्द्रों पर अफरा-तफरी

Post by: Manju Thakur

इटारसी। बेमौसम बारिश ने किसानों के साथ ही समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी करने वाली सोसायटी के कर्ताधर्ताओं की चिंता बढ़ा दी है। खेतों में बने खरीदी केन्द्रों पर मंगलवार की रात अचानक आए बड़ी बूंद वाले पानी ने अफरा-तफरी मचा दी। आनन-फानन में खुले में रखी गेहूं की बोरियों को तिरपाल और पॉलिथिन डालकर बचाने का असफल प्रयास किया गया। तेज हवा के कारण समितियों के प्रयास पूरी तरह से सफल नहीं हो सके और बचाते-बचाते गेहूं भीग ही गया। हालांकि बारिश थोड़ी देर हुई जिससे अधिक नुकसान नहीं हो सका।
इटारसी शहर के आसपास सनखेड़ा, गोंची तरोंदा, जमानी, भट्टी, पथरोटा जैसे ग्रामीण अंचलों के खरीद केन्द्रों पर मंगलवार की रात अचानक आयी आंधी और बारिश से अफरा-तफरी मच गयी। पानी अचानक और बड़ी बूंदों वाला था। रात का वक्त था और आसमान पर छाए काले बादलों ने जैसे ही बरसना शुरु किया तो खरीद केन्द्रों पर किसानों और मौजूद कर्मचारियों को अधिक मौका नहीं दिया। हालांकि समिति के प्रबंधकों का दावा है कि गेहूं भीगने से पहले बोरों को तिरापाल और पॉलिथिन से ढंक दिया था। बावजूद इसके सुबह जब इन खरीद केन्द्रों का दौरा किया तो ज्यादातर जगह गेहूं के बोरे गीले थे। किसानों ने अपना अनाज स्वयं बचाने के लिए साथ में पॉलिथिन और तिरपाल लाए थे। हवा इतनी तेज थी कि पॉलिथिन गेहूं के बोरों पर ठहर ही नहीं रही थी। करीब दस से पंद्रह मिनट की तेज बारिश थमने तक खरीद केन्द्रों पर समिति के कर्मचारी और किसान अपना गेहूं बचाने का प्रयास ही करते रहे। गोंची तरोंदा समिति के प्रभारी हरिशंकर चौरे बताते हैं कि हवा काफी तेज थी। हमने गेहूं को तिरपाल और पॉलिथिन से बचाया। हालांकि हवा के कारण बार-बार पॉलिथिन उड़ रही थी जिसे बोरों से ही दबाकर रखा गया। इस कवायद में गेहूं के कुछ बोरे भीग भी गए थे। लेकिन पानी गेहूं तक नहीं पहुंचा केवल बोरे ही भीगे थे जो सुबह धूप निकलने से सूख गए।
इधर रामपुर और सनखेड़ा सोसायटी के प्रबंधक बृजमोहन चौरे का कहना है कि इस बेमौसम बारिश से गेहूं पर कोई खास असर नहीं हुआ है। अलबत्ता कुछ बोरे ही भीगे थे। बिछुआ-सोनतलाई सोसायटी के प्रबंधक राजीव दीवान ने कहा कि इस क्षेत्र में बारिश तो अधिक नहीं केवल बूंदाबांदी हुई है। लेकिन यहां हवा बहुत तेज थी। बारिश नहीं होने से यहां कोई नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि मौसम को देखते हुए यहां तत्काल परिवहन की व्यवस्था की गई है। केन्द्र पर अनाज अधिक देर रखा नहीं रहता है जिससे नुकसान नहीं हो सकता है।
यहां एक बात उल्लेखनीय है कि जिम्मेदार चाहे अपनी कमजोरी छिपाकर नुकसान न होने की बात कहें लेकिन यह भी सच है कि बोरों में रखा गेहूं इस तेज बारिश में भीगा अवश्य था तो सुबह अपनी कहानी खुद कह रहा था।

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