भक्ति और समदृष्टि से शिव की प्राप्ति संभव : आचार्य

इटारसी। संसार सागर में भक्ति तो सभी मनुष्य करते हैं। लेकिन फल उन्हीं को प्राप्त होता है जिनकी भक्ति अखंड और दृष्टि शिव के समान सम होती हैं। उक्त उद्गार प्रवचनकर्ता आचार्य बृज मोहन महाराज ने नाला मोहल्ला में हरिजन छात्रावास के पास आयोजित संगीतमय श्री शिव महापुराण समारोह के चतुर्थ दिवस में व्यक्त किये।
श्रोताओं को सम दृष्टि का तात्पर्य बताते हुए आचार्य बृजमोहन ने कहा कि जिनके व्यवहार में, जिनके स्वभाव में किसी के लिये पक्षपात व भेदभाव ना हो जो सबको समान रूप से देखे उसे समदृष्टि कहा जाता है। ऐसे समदृष्टि वाले जीव पर ही शिव की कृपा होती हैं। चतुर्थ दिवस में शिव-पार्वती विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि अखंड भक्ति से शिव को प्राप्त किया जा सकता है, जैसे कि माता पार्वती ने किया।
माता पार्वती ने अपने गुरू नारद जी के कहे वचनों पर निष्ठा विश्वास रखकर उनके दिये मंत्रोच्चार ओम नम: शिवाय: मंत्र को धारण किया और कठिन तप किया। बहुत बाधायं आई परंतु अपनी दृढ़ता से मां पार्वती तप करती रही। अन्त में स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए तब पार्वती ने वरदान मांगा कि आप मुझे पत्नी रूप में स्वीकार करें। मेरे माता-पिता से मेरा हाथ मांगे शिव ने वैसा ही किया। एक नट का रूप बनाकर राजा हिमवान के यहा उत्सव में पहुंचे और अति सुंदर नृत्य किया तब खुश होकर रानी मैना और राजा हिमवान ने शिव जी से कहा मांगों नट क्या चाहते हो, तब शिव ने पार्वती का हाथ मांगा, शिव जी को पहचान नहीं पाने के कारण राजा हिमवान ने क्रोधित होकर अपने सैनिकों से उन्हें मारने को कहा वही शिव जी ने पार्वती जी को पंचमुख रूप दिखाकर अंतध्र्यान हो गये। बाद में हिमाचल मैना को समझ में आया कि यह नट नहीं साक्षात सदाशिव ही हमारी बेटी का हाथ मांगने आये थे। तब प्रसन्न होकर नारद जी के निर्देशानुसार बड़ी धूमधाम से शिव-पार्वती का विवाह कराया। इस प्रसंग के साथ ही कथा स्थल पर भगवान शिव एवं माता-पार्वती का विवाह समारोह सचित्र झांकी के साथ किया। इस अवसर पर भगवान शिव की बारात निकाली जिसमें अनेक बाल कलाकारों ने बारातियों का रूप धारण किया। पं. राजू वैष्णों ने दूल्हा-दुल्हन बने शिव-पार्वती स्वरूप के युगल का विवाह जामुन के मंडप में कराया मुख्य यजवान ओमप्रकाश नागा एवं अन्य यजवानों ने भगवान की पैर पखराई की, समारोह का संचालन प्रवक्ता-गिरीश पटेल ने किया।

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