इटारसी। संसार के प्रत्येक मनुष्य की इच्छा होती है परमात्मा की कृपा प्राप्त करे। लेकिन ईश्वर की कृपा सौभाग्य से ही मिलती है। ऐसा अवसर केवल उन्हीं को मिलता है जो धु्रव और प्रहलाद जैसी निष्काम भक्ति करते हैं।
यह बात नर्मदांचल के भगवत कथा वाचक पं. जगदीश पांडेय ने सामाजिक कार्यकर्ता अमृतलाल पटेल की स्मृति में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा समारोह के दूसरे दिन भगवत प्रेमियों को संबोधित करते हुए कही। आचार्य जगदीश पांडेय ने ध्रुव प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि ध्रुव जी महाराज बाल्य अवस्था में अपने राजा पिता की गोद में बैठने की लालसा रखते थे। लेकिन उनकी सौतेली मां सुरुति ऐसा नहीं होने देती थी। इससे दुखी होकर ध्रुव जब अपनी सगी मां सुनीति को यह पीड़ा सुनाते हैं तो उनकी मां उनसे कहती है कि बेटा बैठना है तो परमात्मा की गोद में बैठो, वह तो सारे संसार के पिता हैं। मां की इस बात को शिरोधार्य कर पांच वर्ष के बालक धु्रव वन में जाकर पिता परमात्मा की तपस्या छह माह तक अन्न-जल त्यागकर करते हैं। उनकी इस कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर परमात्मा श्री हरि उनके समख आये और उन्हें उनकी इच्छानुसार अपनी गोद में बिठाया। साथ ही ऐसा वरदान दिया कि लंबे समय राजकाज करने के बाद भी ध्रुव जी महाराज को जीवन के अंत में एक तारे के रूप में आसमान में स्थापित किया जिसे सारा संसार ध्रुव तारा के नाम से जानता है।
श्री पांडेय ने कहा कि संसार में आये हैं तो भक्ति ऐसा करो कि पिता ही नहीं परम पिता की गोद में बैठने का अवसर प्राप्त हो। यह अवसर पर ध्रुव व प्रहलाद जैसी निष्काम भक्ति से ही प्राप्त हो सकता है। उपरोक्त भक्तिपूर्ण प्रसंग के साथ ही पं. जगदीश पांडेय एवं उनकी संगीत समिति ने भक्तिपूर्ण भजनों की संगीतमय प्रस्तुति प्रदान की जिन्हें श्रवण कर श्रोतागण भक्ति में मंत्रमुग्ध हो गये। कथा के प्रारंभ में यजमान विनोद मिश्रीलाल पटेल ने समस्त श्रोताओं की ओर से प्रवचनकर्ता श्री पांडेय का स्वागत किया।