भगवान के दरबार में लगायी साल के पहले दिन हाजिरी
इटारसी। नये साल का जश्न भगवान के दरबार में हाजिरी लगाकर मनाने वालों की तादात बढ़ती जा रही है। हर वर्ष नये वर्ष का प्रारंभ लोग मंदिरों में जाकर करते हैं। लोगों की इस भावना को देखते हुए अब मंदिर समितियां भी नए साल के दिन विशेष तरह की तैयारियां करते हैं। न्यू ईयर का नाम सुनते ही मन में पार्टी, रेस्तरां या फिर किसी हिल स्टेशन का नाम ही जेहन में आता है। लेकिन आजकल इन सबसे अलग मंदिरों और धार्मिक स्थलों में भी न्यू ईयर के दिन अच्छी खासी भीड़ होती है।
हजारों लोग ऐसे भी हैं जो अपना नया साल भगवान के दरबार से शुरू करने की इच्छा रखते हैं। बुधवार 1 जनवरी को हजारों लोगों ने पहाड़ों पर बसे शरददेव, तिलकसिंदूर, शहर के भीतर श्री हनुमानधाम मंदिर, श्री बूढ़ी माता मंदिर, स्वप्नेश्वर हनुमान मंदिर सहित अन्य देवालयों में मनाया। सुबह से ही शहर के मालवीयगंज में स्थित श्री बूढ़ी माता मंदिर और स्वप्नेश्वर हनुमान मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला-पुरुष, बच्चे पहुंचने लगे थे। इसके अलावा होशंगाबाद में नर्मदा घाट, नर्मदा ब्रिज के नीचे, सलकनपुर देवीधाम के अलावा सतपुड़ा पर्वत श्रंखला में स्थापित शरददेव और तिलकसिंदूर में भी हजारों लोगों ने पहुंचकर नयेवर्ष के पहले दिन ईश्वर की आराधना ओर दर्शन करके प्रारंभ किया।
इस मौके पर तिलक सिंदूर मंदिर स्थित भगवान के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु एवं पिकनिक मनाने वाले की इतनी भीड़ बढ़ गई जैसे की शिवरात्रि मेला हो। पथरोटा थाना प्रभारी प्रज्ञा शर्मा, पूरी टीम एवं आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर अध्यक्ष बलदेव तेकाम, सचिव जीतेंद्र इवने, जितेंद्र भलावी, महेंद्र, जगदीश ककोडिया, गज्जू सरेआम, सुखराम, जितेंद्र बावरिया एवं मीडिया प्रभारी विनोद वारिबा उपस्थित रहे।
किया भंडारा
श्री साँई सामाजिक कल्याण समिति इटारसी द्वारा प्रति वर्ष आनुसार इस वर्ष भी श्री बूढ़ी माता मंदिर परिसर इटारसी में विशाल भंडारा आयोजित किया गया जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
पिकनिक और पूजा साथ-साथ
दरअसल, धार्मिक स्थल पर साल के पहले दिन हजारों की संख्या में लोग जाने लगे हैं। खासकर महिलाएं और बच्चे घर से टिफिन लेकर जाते और पूजा-दर्शन के बाद मंदिर परिसर में ही पिकनिक भी मनाते हैं और कई घंटे गुजारने के बाद घर वापस आते हैं। इस तरह से उनका वर्ष का पहला दिन भगवान के दरबार से प्रारंभ होता है। शहर के भीतर मंदिरों के अलावा जो लोग जंगलों को पसंद करते हैं, वे शरददेव और तिलकसिंदूर का चयन करते हैं। आजकल युवा पीढ़ी भी मस्ती के साथ धर्मकर्म में ज्यादा भरोसा करती है। कुछ युवा परिवार के साथ मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करने में विश्वास रखते है। नया साल शुरू होने से पहले ही कई लोग विशेष पूजा की तैयारी में जुट जाते हैं। 31 दिसंबर की शाम से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। रात को 12 बजते ही भगवान को भोग आदि चढ़ाकर नया साल मनाया जाता है। इसके अलावा मंत्रों के उच्चारण के साथ आरती भी की जाती है।
कुछ यूं भी किया स्वागत
नववर्ष का स्वागत और एन्जॉय लोग अपने ही अंदाज में करते हैं। दो दोस्तों ने भी नववर्ष का स्वागत कुछ अलग ही अंदाज में किया। इनमें एक रेलवे में अधिकारी है तो दूसरा रक्षा विभाग में सिविल इंजीनियर। दोनों दोस्तों ने मजदूर वर्ग के गरीब लोगों के साथ नववर्ष मनाया। दोनों युवा दोस्तों ने समाजसेवा में सक्रिय भागीदारी निभाने का मन बनाया, गरीब और बुजुर्गों की सेवा करने का निर्णय भी लिया। एनएच 69 के किनारे बनी एक कॉलोनी में रहने वाले नितिन ओंकार और दिनेश निकम ने करीब 50 से 60 मजदूर वर्ग के लोगों को खाना खिलाया। नितिन ओंकार रेलवे विभाग में एसएससी सीएंडडब्ल्यू में कार्यरत हैं और दिनेश निकम डिफेंस में सिविल इंजीनियर है।