मनुष्य का चरित्र श्रीराम जैसा हो चाहिए : मानस विदुषी दीपा शर्मा
इटारसी। संसार में आए हुए प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का चरित्र प्रभु श्रीराम के चरित्र के समान होना चाहिए तभी इस मानव जीवन की महानता संसार में प्रतिपादित होती है। उक्त ज्ञानपूर्ण उद्गार श्रीधाम वृंदावन की मानस विदुषी दीपा शर्मा ने नर्मदांचल के धर्मग्राम सोनतलाई में व्यक्त किए। ग्राम में श्रीराम चरित मानस प्रवचन के साथ ही श्री शतचंडी महायज्ञ भी प्रारंभ हो गया है।
तवा नदी के तट पर बसे ग्राम सोनतलाई में चैत्र नवरात्रि एवं श्रीराम नवमी पर्व के उपक्ष्य में आयोजित नर्मदांचल का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान के प्रथम दिवस प्रात:काल बुंदेलखंड के यज्ञाचार्य पं. अजय चतुर्वेदी एवं उनकी टीम ने मुख्य यजमान पं. रामशंकर तिवारी से अरणि मंथन कराकर श्री शतचंडी महायज्ञ प्रारंभ कराया। यज्ञ में श्री तिवारी के अलावा दस यजमान और बनाए गये हैं जो जोड़े सहित दो पारियों में संपूर्ण नर्मदांचल की सुख शांति के यज्ञ में समस्त ग्रामवासियों की ओर से आहुतियां प्रदान करेंगे। इसी कड़ी में श्रीराम चरित मानस प्रवचन समारोह प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 5 बजे तक चलेंगे। आज प्रथम दिवस में श्रीधाम वृंदावन की दीपा शर्मा ने श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या से स्वामी बजरंगदास महाराज एवं तपोभूमि भिंड से मानस माधुरी राधा शर्मा ने उपस्थित श्रोताओं को सत्संग के माध्यम से श्रीराम चरित मानस के महत्व से अवगत कराते हुए अपने-अपने संगीतमय अंदाज में कहा कि मानव जीवन में जहां हजारा चरित्र श्रीराम के जैसा होना चाहिए, हमारे सभी संबंधी, हमारे सभी दोस्त और हमारे शत्रु भी हैं तो उनका चरित्र भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के समान होना चाहिए। यही मर्यादामय आचरण व सत्य ज्ञान का बोध हमें श्रीराम चरित मानस धर्मग्रंथ से प्राप्त होता है। इसलिए श्रीरामायण जी को मानस ग्रंथ कहा जाता है। प्रथम दिवस के प्रवचन समारोह में तीनों प्रवचनकर्ताओं का स्वागत कार्यक्रम संयोजक पंडित राजीव दीवान ने किया।