मन की आंखों से लगाए दांव, जीते मैडल

Post by: Manju Thakur

नेत्रहीन बेटियों ने जीते सिल्वर और ब्रांज मेडल
इटारसी।
समीपस्थ ग्राम पांजराकलॉ के मजदूर परिवार की तीन सगी नेत्रहीन बहनों ने नेशनल जूडो चैम्पियनशिप में रजत और कांस्य पदक जीतकर जिले का नाम रोशन किया है। इन बेटियों ने साबित कर दिया है कि दिल में जुनून और हालात से टकराने की क्षमता हो तो शारीरिक कमजोरी मायने नहीं रखती। पांजराकलॉ की इन बहनों की जिंदगी में जन्म से ही अंधेरा रहा है।
गांव के मजदूर लखनलाल चौरे की पांच संतानों में तीन बेटियों ज्योति, पूजा एवं सरिता जन्म से नेत्रहीन पैदा हुई, जबकि एक बेटी और एक बेटा सामान्य हैं। माता-पिता भी शरीर से सामान्य हैं। गांव के सरकारी स्कूल में 7 वीं पास करने के बाद तीनों बहनों ने इंदौर के विशेष विद्यालय से बीए तक पढ़ाई पूरी कर ली है। एक साल पहले सोहागपुर के दलित संघ एवं साइड सिवर संस्था भोपाल के प्रयासों से तीनों बेटियों ने जूडो का अभ्यास शुरू किया। गुरु भगवानदास ने इन बेटियों को जूडो के ऐसे गुर सिखाए कि ये मैडल जीतकर आयीं। पूजा और सरिता ने पिछले वर्ष लखनऊ में हुई प्रतियोगिता में भी कांस्य पदक जीता था। सरिता चौरे ने जूनियर वर्ग में सिल्वर मैडल, सीनियर में पूजा ने ब्रांज मेडल हासिल किया। सबसे बड़ी बहन ज्योति को मैडल तो हासिल नहीं हुआ, लेकिन उसने पहले तीन राउंड के कड़े मुकाबले में इंटरनेशनल स्टार प्लेयर जानकी को मात देकर कामयाबी पाई।

सरकार से नहीं मिला कोई सहयोग
तीनों बहनों की पारिवारिक आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पिता ने किसी तरह सभी बच्चों की परवरिश की। दिव्यांग होने के बावजूद इन बेटियों को सरकार का कोई सहयोग नहीं मिला, वे मानती हैं कि दलित संघ एवं साइड सेवर की मदद से आज वे इस मुकाम पर पहुंच सकी हैं। अब वे दिव्यांग कोटे में शासकीय सेवा में जाकर अपने परिवार की हालत सुधारने का सपना देख रही हैं, साथ ही इंटरनेशनल ब्लाइंड जूड़ो चैपिंयनशिप में देश का नाम रोशन करना चाहती हैं। गांव की नेत्रहीन बेटियों की कामयाबी से पूरा गांव खुश है। बुधवार को उनसे मिलने जिला पंचायत अध्यक्ष कुशल पटेल और अन्य जनप्रतिनिधि भी पहुंचे थे।

error: Content is protected !!