महामृत्युंजय का पाठ करने पर रोगों से मुक्ति मिलती है : आचार्य दुबे

इटारसी। देवों के देव महादेव के प्रिय महीने सावन के अष्ठम दिवस पर श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कडग़ंज में भगवान शिव के पार्थिव स्वरूप का पूजन एवं रूद्राभिषेक किया गया। प्रतिदिन मंदिर में भगवान शिव के पूजन एवं अभिषेक के लिए महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रावण मास में पार्थिव स्वरूप का विशेष पूजन अर्चन किया जा रहा है। भोलेनाथ सभी देवों में सबसे सरल और भोले माने गए हैं।
दुर्गा नवग्रह मंदिर में एक माह तक चलने वाले पूजन एवं रूद्राभिषेक में मुख्य आचार्य विनोद दुबे, आचार्य सत्येन्द्र पांडे, आचार्य पीयूष पांडे द्वारा सभी भक्तों से पूजन एवं अभिषेक कराया जा रहा है। पूरे सावन मास में सवा लाख रूद्री बनेगी प्रतिदिन महिलाएं रूद्री का निर्माण करती हैं एवं दोपहर में उनका पूजन एवं अभिषेक किया जाता है। मुख्य आचार्य विनोद दुबे ने संबोधित करते हुए कहा कि सावन मास में भगवान शिव का व्रत रखने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और कुंवारे लड़कों को मनचाही वधु की प्राप्ति होती है। भगवान भोलेनाथ को 108 बिलपत्र पर राम नाम लिखकर चढाने से कई बंधनों से मुक्ति मिल जाती है। सावन के महीने में शिव मंदिर में रामचरितमानस का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। विद्या में प्रगति के लिए अरण्यकांड का पाठ करना चाहिए। महामृत्युंजय का पाठ करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। दूध से अभिषेक करने से पुत्र, गन्ने के रस से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। वहीं दही से अभिषेक करने पर पशु स्वस्थ रहते है। सावन मास में भगवान भोले 108 नामों का जाप करना चाहिए जिसके कारण सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। जीवन में आने वाले हर कंडक का समाधान भगवान भोलेनाथ करते है एवं वह भला करते समय गरीब और अमीर नहीं देखते। परंतु भोलेनाथ उन दुष्टों पर कड़ी नजर रखते हैं जो जीवन भर पाप करते हैं और वह उन्हें दंड देने में भी नहीं चूकते। रावण से बड़ा उदाहरण शिव भक्ति का दुनिया में नहीं मिल सकता। राम का द्रोही होने पर भगवान शिव के कारण ही रावण का विनाश हुआ। कलयुग में शिव मंदिरों में भगवान शिव की पूजा अपना एक अलग महत्व रखती है और देश के सभी श्रद्धालु अपने-अपने तरीके से भगवान शिव की आराधना करते हैं।

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