महिला सशक्तिकरण के लिए आर्मीमेन की बेटी निकली की पदयात्रा पर

Post by: Manju Thakur

देश को दिखाएंगी नारीशक्ति की झलक
इटारसी। देश को आजाद हुए 70 साल से ज्यादा होने के बाद भी देश में महिलाओं और बेटियों पर अत्याचार हो रहे हैं, गैंगरेप, प्रताडऩा जैसी खबरें आए दिन अखबारों की सुर्खियां बनती हैं। खबर पढ़़कर लोग कॉमेंट्स तो बहुत करते हैं, नेता बड़े-बड़े भाषण देते हैं, पर जमीनी स्तर पर कोई कुछ नहीं करता। विदेशी नागरिक इन मामलों को लेकर हमें ताना देते हैं। हालात बदलने मैंने कुछ करने का संकल्प लिया और हम निकल पड़े कश्मीर से कन्याकुमारी की पैदल यात्रा पर। यह कहना है रिटायर्ड ले. जनरल अश्विनी कुमार बक्शी की बेटी सृष्टि बक्शी का, जो 15 सितंबर 2017 से कासबो माइंस के बैनर तले कन्याकुमारी से श्रीनगर की पैदल यात्रा पर निकली हैं। करीब 260 दिन में 3800 किमी की दुर्गम यात्रा में उनकी टीम रोजाना 30 किमी का सफर तय करती है। विवाह के बाद सृष्टि हांगकांग शिफ्ट हो गई थीं, वहां कार्पोरेट जॉब कर रही थीं, लेकिन देश में महिला उत्पीडऩ के बढ़ते मामलों ने उन्हें झकझोर कर रख दिया। जब देश के हाईवे 91 पर निर्भया कांड हुआ तो तस्वीर बदलने का संकल्प लेकर उन्होंने टीम बनाई और पैदल मार्च की योजना बनाई। गूगल और टाटा ट्रस्ट की मदद से वे सामाजिक उत्थान और जागरूकता का संदेश दे रही हैं।
यात्रा की कहानी सृष्टि की जुबानी ….
हम कब तक पुलिस, कानून और सरकार के भरोसे रहेंगे, जब तक समाज और हम खुद पहल नहीं करेंगे, कुछ बदलने वाला नहीं है। हम हर रोज लगभग तीस किलोमीटर चलते हैं और जहां भी रुकते हैं वहां स्कूल-कॉलेज या आंगनबाड़ी में महिलाओं को इंटरनेट के जरिए आगे बढऩे और हालात बदलने को कहते हैं। जब तक घर में मां-बेटी और बहु को लेकर नजरिया नहीं बदलेगा हम पीछे ही रहेंगे। बड़ा दुख होता है जब देश में गैंगरेप जैसी वारदात होती है। एक लड़की अपने पिता-भाई के सामने सेफ नहीं है तो फिर कैसे देश विकास करेगा। तमिलनाडु, कनार्टक, महाराष्ट्र और तेलंगाना के बाद आज मप्र में 2 हजार किमी की यात्रा पूरी हुई। देश की बड़ी समस्या घरेलू उत्पीडऩ की है, यह मुख्य रूप से शराब की वजह से हो रहा है। घर में महिलाओं की आवाज आज दबी हुई है। गिफ्ट के नाम पर दहेज प्रथा जारी है, इस वजह से बेटियां जन्म के बाद बोझ मान ली जाती हैं। सृृष्टि के साथ राष्ट्रीय महिला आयोग की एक टीम, महिला नीति से जुड़ी केन्द्र सरकार की एक टीम, उप्र में 1090 पर काम कर चुकी पुलिस एवं तेलंगाना पुलिस की एक विंग साथ चल रही है और महिला उत्पीडऩ पर स्टडी कर रही है। सृृष्टि ने कासबो माइंस एप भी तैयार कराया है, जिसके जरिए पूरे देश में 100 करोड़ स्टेप हासिल करने का लक्ष्य है। सीपीई में पहुंची सृष्टि ने परिसर में पौधरोपण करने के बाद युवाओं और महिलाओं से मुलाकात की। सीपीई के अफसरों ने आगे की यात्रा की शुभकामनायें दी।

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