माता-पिता से प्रेम करने वाला असफल नहीं होता : पं. नागर

इटारसी। अपने माता-पिता और उनके प्रेम पर जिन लोगों को आस्था और विश्वास है वह किसी भी क्षेत्र में कभी भी असफल नहीं हो सकते। अपने रिश्तों के प्रति भरोसा और श्रद्धा होना बहुत जरूरी है। सबसे पहला प्रेम भगवान से होना चाहिए, जिसने सब कुछ बनाया, अपने माता-पिता अपने परिवार से होना चाहिए, पेड़ फल से इंसान कर्म से और कोयल अपनी कूक से जानी जाती है। हमें अपनी खुशी के साथ ही अपने साथ जुड़े लोगों के हित के लिए भी काम करना चाहिए। हर मुश्किल, हर कठिनाई हमें प्रेरित करती है। पत्थर में भगवान है, यह समझाने में धर्म सफल रहा पर इंसान में इंसान है, यह समझाने में धर्म आज भी असफल है।
यह बात यहां वृंदावन गार्डन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक पंडित नरेन्द्र नागर ने कही। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को भगवान से मांगना चाहिए कि भगवान मेरा यह संबंध सबसे हमेशा बनाए रखें, मैं कैसा हूं मुझे मालूम नहीं। मुझे मिला हुआ हर व्यक्ति आज तक बहुत ही अच्छा है। हम बाहरी दुनिया से कभी भी शांति नहीं पा सकते अंदर से शांति ना हो, ढोंग की जिंदगी से तो ढंग की जिंदगी बेहतर ह। मझधार में तो लोग प्रार्थना करते हैं, परमात्मा को पुकारते हैं, किनारा करीब देखते ही देखते परमात्मा को भूल जाते हैं, फिर कौन फिक्र करता जब किनारा ही करीब आ गया हो।
संगीतमय श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ के आज छटवें दिन भीष्म चरित्र का वर्णन करते हुए उनके राज्य के प्रति सेवा औऱ समर्पण को बताया। वहीं महाभारत के दौरान गीता ज्ञान को प्रतिपादित करते हुए कहा कि हमें ईश्वर पर भरोसा रखते हुए सबकुछ उस पर ही छोड़ देना चाहिए। अर्जुन ने भी श्री कृष्ण को रथ की डोर सौंपते हुए यही प्रार्थना की थी कि प्रभु अब सौंप दिया, इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों तो ईश्वर ने भी उसे सहजतापूर्ण अंगीकार कर लिया। कथा को विस्तार देते हुए रुक्मणी प्रसंग का बखान किया। वृंदावन गार्डन में कन्हैया द्वारा रंग बिरंगे फूलों की होली के साथ समस्त श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गए। शुक्रवार को यहां श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ की पूर्णाहुति होगी। इसलिए कल कथा सुबह 10 बजे से डेढ़ बजे तक होगी। दोपहर 2 बजे से श्री राधा कृष्ण का भंडारा भक्तों के लिए भोग पश्चात खोला जाएगा जिसमें सभी को प्रसादी वितरित की जाएगी।

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