मार्च में हो जाती थी गेहूं कटाई, अब तक 50 फीसद हुई

मार्च में हो जाती थी गेहूं कटाई, अब तक 50 फीसद हुई

इटारसी। हर वर्ष जहां रबी सीजन की फसलों की कटाई मार्च माह में हो जाती थी, इस वर्ष कई कारणों से दस दिन पिछड़ गई है, कटाई का यह प्रतिशत वर्तमान में केवल 50 है। फसलों की कटाई के काम पर सबसे बड़ी मार कोरोना की पड़ी है। इसी एक वजह से न सिर्फ हावेस्टर्स की कमी हो गयी, बल्कि मजदूर भी नहीं मिल पा रहे हैं। हार्वेस्टर कम होने से प्रतिस्पर्धा बढ़ी और जहां रेट अधिक मिले, हार्वेस्टर वहां चले गये। इसी तरह से मौसम की बेरुखी ने भी कमोवेश असर डाला है।
गेहूं के मामले में पंजाब की बराबरी करने वाले होशंगाबाद जिले के किसान इन दिनों गेहूं फसल की कटाई को लेकर चिंता में हैं। दरअसल, पिछले कई वर्षों से इस जिले में ज्यादातर कटाई हार्वेस्टर से होती है और हार्वेस्टर की एक बड़ी संख्या पंजाब से आती है। जिले में केवल दो सौ हार्वेस्टर हैं और गेहूं के रकबे के मान से यहां कम से कम 1000 हजार हार्वेस्टर की जरूरत होती है। शेष 800 हार्वेस्टर पंजाब के होते हैं। इस वर्ष लॉक डाउन के चलते करीब ढाई सौ हार्वेस्टर कम हो गये। जो हैं, उनमें भी प्रतिस्पर्धा के चलते ज्यादातर दूसरे जिलों में चले गये। ऐसे में हमारे जिले की गेहूं कटाई पिछड़ गयी है।

मालवा से होती शुरुआत
प्रदेश में गेहूं कटाई की शुरुआत मालवांचल से होती है। उज्जैन में कटाई कार्य से निवृत होकर हार्वेस्टर हरदा, टिमरनी, सिवनी मालवा होते हुए केसला, इटारसी, होशंगाबाद, सोहागपुर, पिपरिया और बनखेड़ी तक जाते हैं। वैसे ही हार्वेस्टर्स कम हैं और फिर हरदा में कटाई के बाद सिवनी मालवा में करीब 90 फीसद कटाई हो चुकी है। केसला, इटारसी के आसपास कटाई महज 50 फीसद हो सकी है। इसी बीच नरसिंहपुर, जबलपुर, कटनी तरफ अच्छे रेट मिलने से कुछ हार्वेस्टर संचालक वहां चले गये तो यहां और कमी हो गयी। लॉक डाउन के कारण पंजाब से हार्वेस्टर के ड्रायवर और अन्य कर्मचारी भी कम संख्या में आ सके हैं। इन सब कारणों से इस जिले में कटाई करीब दस दिन पिछड़ गयी है।

इस तरह से होती प्रतिस्पर्धा
होशंगाबाद जिले में हार्वेस्टर संचालक को 900 से 1000 हजार रुपए एकड़ के मान से भुगतान करना होता है। कुछ हार्वेस्टर यहां आए और उन्होंने फसल कटाई प्रारंभ भी कर दी। इस बीच नरसिंहपुर और जबलपुर जिलों से 1200 रुपए का रेट मिला तो ज्यादातर हार्वेस्टर यहां से पलायन करके वहां चले गये। जब यहां हार्वेस्टर कमी हो गयी तो जाहिर है, यहां के जो बड़े किसान हैं, उन्होंने उनको रेट बढ़ाकर 1500 रुपए देने का कहा। लेकिन, तब तक देर हो चुकी थी और वहां हार्वेस्टर जा चुके थे। बावजूद इसके कुछ हार्वेस्टर अधिक रेट मिलने से वापस तो आये, लेकिन, इस बीच फसल की कटाई का काम पिछड़ गया। इस दौरान मौसम ने भी दगा दिया और कटाई का काम रोकना पड़ा।

दस दिन रुक गये तो खत्म
वर्तमान में होशंगाबाद जिले में जितने भी हार्वेस्टर हैं, यदि वे ही दस दिन रुक जाएं तो यहां की कटाई पूरी हो सकती है। लेकिन, यहां के किसानों को यह डर सता रहा है कि 15 अप्रैल से पंजाब में कटाई प्रारंभ हो जाती है। ऐसे में यहां पंजाब के हार्वेस्टर रोकना मुश्किल काम होगा। 15 अप्रैल से कटाई पंजाब में शुरु होना है तो हो सकता है कि हार्वेस्टर यहां से और पहले रवाना हो जाएं। ऐसे में फसल काटना मुश्किल हो जाएगा। छोटा किसान तो हो सकता है मजदूरों के भरोसा कटाई करने का विचार कर ले, लेकिन लॉक डाउन के चलते मजदूर मिलना भी बड़ा मुश्किल हो रहा है। लेकिन, बड़ा किसान बिना हार्वेस्टर के अपने खेतों की कटाई करने की कल्पना भी नहीं कर सकता है।

फसल कटाई एवं हार्वेस्टर की स्थिति
ब्लॉक रकबा (हेक्टे.) अनुमानित प्रतिशत पूर्ण होने की अनु.तिथि हार्वेस्टर
होशंगाबाद 40,200 35 12 अप्रैल 51
बाबई 44,372 25 15 अप्रैल 104
केसला 35,097 60 10 अप्रैल 91
सिवनी मालवा 73120 90 08 अप्रैल 280
सोहागपुर 44,230 30 15 अप्रैल 45
पिपरिया 34,380 35 15 अप्रैल 92
बनखेड़ी 37,235 35 15 अप्रैल 44
कुल 308634 707

इनका कहना है..!
हमारा विभाग और संपूर्ण जिला प्रशासन प्रयास कर रहा है कि जितने भी उपलब्ध हार्वेस्टर हैं, उसके अनुसार जल्द से जल्द गेहूं की कटाई का काम पूर्ण करा ले। हमारा प्रयास है कि किसानों को कम से कम परेशानी हो। हम हार्वेस्टरों को पंजीयन में राहत दे रहे हैं और जो भी हार्वेस्टर आ रहे हैं, सीधे कटाई के काम में लगा रहे हैं।
जितेन्द्र सिंह, डिप्टी डायरेक्टर कृषि

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