मॉडल एक्ट (Model Act) का विरोध, 16 को सामूहिक अवकाश पर रहेंगे मंडी कर्मचारी

Post by: Manju Thakur

संयुक्त संघर्ष मोर्चा (Sanyukt Sangharsh Morcha) 22 को करेगा विधानसभा का घेराव
इटारसी। कृषि उपज मंडी (Krishi upaj mandi Itarsi) के समस्त अधिकारी और कर्मचारी 16 जुलाई को सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। इस आशय की सूचना एक पत्र के माध्यम से उन्होंने भारसाधक अधिकारी और एसडीएम सतीश राय (SDM Itarsi Satish Rai) तथा मंडी सचिव उमेश कुमार बसेडिय़ा (Mansi Sachiv Umesh Kumar) को दे दी है। 16 जुलाई के सामूहिक अवकाश के लिए आज मंडी परिसर में मंडी के अधिकारी-कर्मचारियों, किसानों, व्यापारियों, हम्माल-तुलावटियों की एक संयुक्त बैठक हुई। इसमें संयुक्त संघर्ष मोर्चा (Sanyukt Sangharsh Morcha) का गठन किया गया।
मोर्चा के अध्यक्ष पद पर अध्यक्ष गौतम सिंह रघुवंशी, उपाध्यक्ष राजेश इंगले, सचिव अजबसिंह कीर, सहसचिव ओपी मालवीय, कंचन भुसारिया, कैलाश चावरे, कोषाध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव लेखापाल, सह कोषाध्यक्ष गोपाल दास चौरे, प्रवक्ता सीताराम पवार, विशेष आमंत्रित अमिल निरंजन, केडी चौरे, केसी पाठक, केसी नागर, शिवनारायण सिंह बनाये गये। कार्यकारिणी संरक्षक सचिव उमेश कुमार बसेडिय़ा बनाये गये हैं।

मॉडल एक्ट (Model Act) का कर रहे विरोध
मॉडल एक्ट (Model Act) कृषि अधिनियम का पूरे मध्यप्रदेश में कर्मचारियों द्वारा हो रहा विरोध हो रहा है। संयुक्त संघर्ष मोर्चा मंडी बोर्ड भोपाल के आह्वान पर कृषि उपज मंडी समिति के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने 16 जुलाई को एक दिवसीय सामूहिक अवकाश पर रहने का निर्णय लिया है। इनकी मांग है कि मॉडल एक्ट को समाप्त किया जाए, यह किसी के हित में नहीं है, बल्कि नुकसानदेह है। मॉडल एक्ट (Model Act) में बहुत सारी त्रुटियां हैं। अधिनियम 1972 में किसानों को दलालों, आढ़तियों के शोषण से मुक्त रहने के लिए कड़े प्रावधान के साथ बना था, जिसका उद्देश्य किसानों को उनकी कृषि उपज का उचित मूल्य दिलाना था। मॉडल एक्ट में बड़े व्यापारी, निजी कंपनी को सुविधा दी गई है।

पांच यूनियनों का संयुक्त मोर्चा (Sanyukt Morcha)
मॉडल एक्ट (Model Act) कृषि अधिनियम का विरोध पांच यूनियनों का संयुक्त मोर्चा कर रहा है। कृषि उपज मंडी समिति के सचिव और संगठन के संरक्षक उमेश कुमार बसेडिय़ा (Mansi Sachiv Umesh Kumar) ने बताया कि मॉडल एक्ट 2020 के अंतर्गत निजी मंडी, उपज मंडी, यार्ड के प्लेटफार्म और सीधे उपार्जन की व्यवस्था की गई है, जिससे छोटे और मझोले किसानों के लिए दिक्कत होगी। इन्हीं सारी दिक्कतों के चलते 16 जुलाई को हम लोग सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। आंदोलन के अंतर्गत यदि हमारी मांगें नहीं मानी गयीं तो 22 जुलाई को मप्र विधानसभा का घेराव किया जाएगा। इसके अलावा न्यायालयीन कार्यवाही और अन्य आंदोलन की तरफ भी संगठन जाएगा। इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होगा।

भविष्य अंधकारमय हो जाएगा
मोर्चा का का कहना है कि कृषि उपज मंडियों में अधिकारी, कर्मचारी, हम्माल, तुलावटी, छोटे व्यापारियों के भविष्य से खिलवाड़ है। नये अधिनियम में बिना अनुज्ञप्ति के ही खरीदी कर सकते हैं। ऐसे में कई फर्जी केस मंडी बोर्ड पहुंचेंगे। उनको पकडऩा मुश्किल होगा। पहले प्रतिभूति से भुगतान हो सकता था। नये एक्ट में समर्थन मूल्य की बात नहीं बल्कि मॉडल रेट की बात की जा रही है। ऐसे में हर कंपनी अपना मॉडल रेट निर्धारित करेगी और किसानों को मजबूरी में अनाज बेचना पड़ेगा। आवक कम होगी तो दस हजार कर्मचारियों को वेतन-भत्ते के लाले पड़ेंगे और नौकरी असुरक्षित हो जाएगी। 3 हजार पेंशनर, 2 हजार संविदा कर्मियों का भविष्य अंधेरे में हो जाएगा।

इनका कहना है…!
आज मंडी में अधिकारी, कर्मचारी, हम्माल, तुलावटी, किसान और व्यापारियों की एक संयुक्त बैठक हुई है। इसमें मॉडल एक्ट का विरोध करने और 16 जुलाई को सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय हुआ है। सामूहिक अवकाश की सूचना भारसाधक अधिकारी को पत्र के माध्यम से दी गई है।
उमेश कुमार बसेडिय़ा, सचिव एवं संरक्षक संयुक्त संघर्ष मोर्चा (Mansi Sachiv Umesh Kumar)

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