मोदक में दिखेंगे मोदी और शिवराज सिंह
इटारसी। यह चुनावी वर्ष और चुनाव का समय नजदीक आ रहा है तो लोग तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं। खासकर ग्राम सुपरली के किसान योगेन्द्रपाल सिंह सोलंकी इस तरह के प्रयोग करने में खासे माहिर माने जाते हैं। इस बार चुनावी वर्ष होने के कारण अब उन्होंने गणेश को अति प्रिय मोदक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चेहरा उकेरकर प्रसाद में चुनावी वर्ष का असर डालने का प्रयास किया है। देखना है कि ये मोदक गणेश भक्तों को कितने प्रभावित करते हैं।
समीपस्थ ग्राम सुपरली के किसान योगेन्द्र पाल सिंह सोलंकी प्रयोगधर्मी माने जाते हैं। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए गोबर और गेहूं की नरवाई से बनायी लकड़ी हो, किसान देवता की मूर्ति स्थापना, राखी पर बच्चों के चित्र, दीपावली के डिजायनर दीये हों या फिर पर्यावरण के लिए मैराथन दौड़। ऐसे दर्जनों प्रयोग के लिए जिलेभर में पहचाने जाने वाले योगेन्द्र पाल सिंह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से खासे प्रभावित हैं। इस चुनावी वर्ष में उन्होंने गणेशोत्सव के प्रसाद में प्रयोग करने का मन बनाया है। भगवान गणेश को अतिप्रिय मोदक में चांदी का वर्क लगाकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे उकेरे हैं।
यहां बता दें कि सोलंकी को कैटरिंग का कोई अनुभव नहीं है, किन्तु जहां चाह, वहां राह की कहावत को ध्यान में रखकर उन्होंने ये मोदक स्वयं तैयार किए हैं। वे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के इतने दीवाने हैं कि उन्होंने इससे पहले मोदी-शिवराज की राखी, मोदी शिवराज के दीपक, टाइल्स, गमले, मोदी ईंट भी बनायीं थीं। श्री सोलंकी ने कहा कि अभी उन्होंने मोदक की कीमत दस हजार रुपए प्रतिकिलो रखी है, लेकिन वे इसकी कीमतें कम करने का प्रयास करेंगे। मोदक में मावा, ड्रायफूड और चांदी का वर्क इस्तेमाल किया जा रहा है। करीब दो दिन में एक किलो मोदक तैयार हो पा रहे हैं।
घर के देव देते हैं आईडिया
किसान योगेन्द्रपाल सिंह सोलंकी बताते हैं कि उनके घर के बाड़े में पीछे उनके परिवार का देवस्थान है। वे हर रोज वहां सिर झुकाने, अगरबत्ती लगाने जाते हैं और वहीं से उनको आईडियाज़ मिलते हैं। श्री सोलंकी कहते हैं कि जैसे गूगल में विषय खोजने पर सब सामने आ जाता है, वैसे ही वे जब सिर झुकाने देवस्थान पर जाते हैं तो उनको आईडियाज आते हैं और सब उनकी आंखों के सामने आ जाता है। बस यहीं से वे चल पड़ते हैं इसको क्रियान्वित करने। यह आईडिया भी उनको वहीं से आया है और वे इस पर अमल करने चल निकले हैं।