म्यूचुअल फंड में क्यों निवेश करें, जानें सबसे जरुरी कारण…
म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं। जानें विस्तार से;.....

म्यूचुअल फंड में क्यों निवेश करें, जानें सबसे जरुरी कारण…

म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं। यह बाते जरूर जान लें…….

म्यूचुअल फंड क्या हैं

म्यूचुअल फंड

म्यूचुअल फंड एक ऐसी कम्पनी होती है जो की अलग-अलग लोगों से पैसे इक्कठा करती है, और इकट्ठा की गई राशि को बाजार में निवेश करती है हिंदी में म्यूचुअल फंड को पारस्परिक निधि कहते हैं। यह एक प्रकार का सामूहिक निवेश होता है।

म्यूचुअल फंड में निवेश के कई विकल्प बाजार में मौजूद हैं। कम रिस्क में अच्छे मुनाफे के लिए म्यूचुअल फंड निवेश का एक बेहतरीन विकल्प है। खासकर सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान के जरिये इसमें निवेश करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है।

क्योंकि जिन लोगों को बाजार की कम जानकारी है उनके लिए म्यूचुअल फंड एक सुरक्षित विकल्प है। म्यूचुअल फंड के जरिये ना सिर्फ शेयर बाजारे में बल्कि गोल्ड और कमोडिटी में भी पैसा निवेश कर सकते हैं

म्यूचुअल फंड मे एक फंड मैनेजर होता है जो फंड के निवेशों को निर्धारित करता है और नुकसान का हिसाब-किताब रखता है। इस प्रकार हुए नुकसान को निवेशकों में बांट दिया जाता है। म्यूचुअल फंड कंपनी सभी निवेशकों के निवेश राशि को लेकर इकट्ठे करती है।  इसके बदले कंपनी कुछ सर्विस चार्ज लेती है।

कैसे करें म्यूचुअल फंड में निवेश

म्यूचुअल फंड

आप म्यूचुअल फंड की वेबसाइट से सीधे निवेश कर सकते हैं। यह आपको तय करना होगा कि आप कौन सा प्‍लान लेना चा‍हते हैं अगर आप सीधे निवेश करना चाहते हैं तो आप म्यूचुअल फंड स्कीम के डायरेक्ट प्लान में निवेश करें। डायरेक्ट प्लान में निवेश करने का फायदा यह होग कि आपको कमीशन नही देना देना पडेगा।

अगर आप चाहें तो किसी एडवाइजर की सेवा भी ले सकते हैं। अगर आप किसी एडवाइजर की मदद से निवेश कर रहे हैं तो आप रेगुलर प्लान में निवेश करें। इसके लिये आपको कमीशन देना होगा।

म्यूचुअल फंड में SIP क्‍या हैं

म्यूचुअल फंड

SIP का मतलब है आप हर महीने या एक निश्चित समय में एक तय रकम म्यूचुअल फंड में निवेश करें। म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को यूनिट होल्डर कहा जाता है । म्यूचुअल फंड कंपनियाँ में फंड जमा करने के लिए न्यू फंड ऑफर जारी करती हैं।

म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को यूनिट दी जाती है। यहां डिस्काउंट या प्रीमियम पर नहीं बल्कि प्रति यूनिट की कुछ रकम तय की जाती है। आप एक बार में सारा पैसा निवेश कर सकते हैं या SIP के जरिए भी निवेश कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड में निवेश के फायदे

म्यूचुअल फंड

  • म्यूचुअल फंड से पैसा कमाने का एक बहुत ही अच्छा और आसान तरीका है। इसमें निवेश करने के लिए आप मात्र 500 रुपये हर महीने की दर से भी इसमें निवेश कर सकते है।
  • म्यूचुअल फंड में निवेश फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है, जिसे बाजार की अच्छी समझ होती है। वह आपका पैसा सोच समझकर निवेश करता है, जहां रिटर्न बेहतर रहने की उम्मीद हो।
  • म्यूचुअल फंड के जरिए आपको लाभ/हानि होने की सम्‍भावना का पता चल जाता है क्योंकि यहां सिर्फ एक शेयर की बजाए अलग-अलग कम्‍पनियों  शेयर लगाया जाता है।
  • म्यूचुअल फंड में अगर एक निवेश से जोखिम होता है तो दूसरे निवेश में यह कवर हो जाता है और साथ ही आपका पैसा डेट फंड मे भी निवेश किया जाता है, जिससे अगर मार्केट में अस्थिरता भी आती है, तब भी पैसा सुरक्षित रहता है।

इनकम टैक्‍स बचाने के लिए करें निवेश

म्यूचुअल फंड

इसमें निवेश करके इनकम टैक्‍स बचाया जा सकता है। जब काई टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करता है तो उसे इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है।

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म्यूचुअल फंड के प्रकार

01.एसेट फंड (Asset Fund) 

म्यूचुअल फंड

इस प्रकार के म्यूचुअल फंड में किसी एक या एक से अधिक प्रकार की सम्पत्तियों में निवेश किया जाता है। जो पैसा आपने  जमा किया है उसे किसी एक या एक से अधिक जगह निवेश किया जाता है।

एसेट क्लास के आधार पर भी  फंड को हम कई हिस्सों में बांट सकते हैं

डेट फंड (Debts Funds)

डेट फंड ऐसे फंड होते हैं जो एक निश्चित इनकम रिटर्न देते हैं डेट फंड कमर्शियल पेपर, ट्रेजरी बिल, कॉर्पोरेट बांड्स और अन्य कई मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते है।

गिल्ट फंड (Gilt Fund)

गिल्ट फंड अपना पैसा सिर्फ गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में ही निवेश करते हैं। सरकार को पैसा देने की वजह से इस प्रकार के डेब्ट फंड में रिस्क नहीं की मात्रा में होता है।

लिक्विड फंड (Liquid Funds)

लिक्विड फंड वे म्यूचुअल फंड होते हैं जो किसी भी समय तैयार करवाए जा सकते हैं। रिडेम्पशन का आवेदन करने के 24 घंटे के भीतर पैसा आपके बैंक अकाउंट में आ जाता है लिक्विड फंड, डेट फंड की केटेगरी में सबसे कम रिटर्न देता है परंतु यह सुरक्षित भी अधिक होता है।

लिक्विड फंड में आप कम से कम 3 दिन के लिए भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। लिक्विड फंड्स जिन सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं उनकी मैच्योरिटी 91 दिन तक की होती है। लिक्विड फंड सेविंग अकाउंट और बैंक एफडी का सबसे अच्छा विकल्प है।

02.इक्विटी फंड  (Equity Funds) 

equity funds 1

इक्विटी फंड, म्यूचुअल फंड में सबसे पॉपुलर फंड है। इक्विटी फंड में लोग ज्यादा रिस्क लेकर ज्यादा रिटर्न के लिए इन्वेस्ट करते हैं। इक्विटी फंड मैनेजर पूरा निवेश स्टॉक मार्केट में करता है।

इक्विटी म्यूचुअल फंड को लार्ज कैपिटल, मिड कैपिटल, मल्टी कैपिटल और स्मॉल कैपिटल फंड में बांटा गया है।

लार्ज कैप फंड (Large Cap Funds)

लार्ज कैप फंड वे  फंड होते हैं जो अपना पैसा बड़े मार्केट कैपिटल वाली कंपनी में लगाते हैं। लार्ज कैप कंपनी पहले से अपनी ग्रोथ प्राप्त कर चुकी होती है इसलिए यहां रिटर्न कुछ कम मिलते हैं परंतु रिटर्न लगातार मिलता है। लार्ज कैप फंड में स्माल एंड मिडकैप की जगह कम रिस्क होता है।

मिड कैप फंड (Mid Cap Funds)

मिड कैप वाली कंपनी मध्यम श्रेणी की कंपनी होती हैं। ये वे कंपनियां होती हैं जिन्होंने अपने व्यापार को स्थापित कर लिया है और अब तरक्की की ओर बढ़ रही हैं। मिड कैप फंड लार्ज कैप फंड की तुलना में ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं।

स्मॉल कैप फंड (Small Cap Funds)

स्मॉल कैपिटल फंड वाली कंपनियां मार्केट में नए कारोबार के साथ अपने-आप को स्थापित करने का प्रयास करती हैं। इनमें रिटर्न अच्छा मिलता है परंतु उसी हिसाब से रिस्की भी ज्यादा होता हैं।

मल्टी कैप फंड (Multi Cap Funds)

इसमें निवेश के लिए यह कैटेगरी बहुत ही पॉपुलर है। इस फंड में लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों में एक तय रेश्यो में निवेश किया जाता है।

कैसे बन जाता है करोड़ों का फंड

अगर हर रोज 100 रुपये मतलब 3000 रुपये महीने का निवेश हर माह करें तो आसानी से करोड़पति बना जा सकता है। इस निवेश को 30 साल के लिए चलाना होगा। यहॉं पर रिटर्न औसतन 12 फीसदी मिलता हैं। ऐसे में यह 3000 रुपये निवेश आराम से करीब 1 करोड़ रुपये बन जाता हैं।

म्यूचुअल फंड लॉक-इन योजनाएं

समाधान उन्मुख योजनाएं उन निवेशकों के लिए सहायक होती हैं जो लंबी अवधि की निवेश करना चाहते हैं जिसमें मुख्य रूप से शामिल हैं सेवानिवृत्ति योजना और म्युचुअल फंड में निवेश करके बच्चे की भविष्य की शिक्षा आदि।

पहले ये योजनाएँ इक्विटी या संतुलित योजनाओं का एक हिस्सा थीं, लेकिन सेबी के नए प्रचलन के अनुसार इन फंडों को समाधान उन्मुख योजनाओं के तहत अलग से वर्गीकृत किया गया है। साथ ही इन योजनाओं में पहले तीन साल के लिए लॉक-इन होता था, लेकिन अब इन फंडों में पांच साल का अनिवार्य लॉक-इन कर दिया गया है।

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