इटारसी। भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहां सनातन धर्म की स्थापना ऋषियों ने की है। अत: देश का आध्यात्मिक कल्याण भी ऋषि और कृृषि की प्रधानता से ही होगा। कुर्सी की महानता से नहीं। उक्त उद्गार महावीरदास ब्रह्मचारी ने सोनतलाई में व्यक्त किये।
श्री शतचंडी महायज्ञ एवं श्रीराम कथा प्रवचन समारोह के पांचवे दिन में संतश्री ने कहा कि व्यक्ति कितना ही धनवान क्यों ना हो जाए उसका काम अन्न के बिना नहीं चल सकता इसलिए भारत में कृषि कार्य करने वाले को अन्न दाता कहा जाता है और देष के ऋषि मुनियों को मोक्षदाता कहा जाता है। धीरेन्द्राचार्य ने कहा कि परमात्मा श्री राम और मातृ शक्ति सीता दोनों का पदार्पण इस धरती पर ऋषि और कृषि की परंपरा से ही हुआ है। यज्ञ हवन ऋषियोंं की परंपरा रही है। इसी परंपरा से भगवान श्रीराम अवतरित हुए और कृषि परंपरा से भगवती सीता प्रकट हुयीं।
ग्राम सोनतलाई में चल रहे इस विशाल धार्मिक अनुष्ठान के साथ ही तवा कछार के दर्जनों गांव से यहां आने वाले ग्रामीणजनों के लिए हाट बाजार एवं मनोरंजक मेले की व्यवस्था भी की गई है इसी पावन भूमि पर 23 मार्च शुक्रवार को रात्रि 9 बजे से विषाल देवी जागरण आयोजित किया जाएगा जिसमें प्रसिद्ध भजन गायिका बाली ठाकरे एवं जिया खान भजनों की प्रस्तुति प्रदान करेंगी। संयोजक राजीव दीवान ने भक्तों से देवी जागरण में भी सम्मिलित होने का निवेदन भी किया है।