राम के बिना शिव की कल्पना अधूरी है – आचार्य पं. विनोद दुबे

राम के बिना शिव की कल्पना अधूरी है – आचार्य पं. विनोद दुबे

इटारसी । श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर(Shri navgrah Durga Mandir) में द्वादश ज्योतिर्लिंग पूजन के अंतर्गत षष्टम दिवस भगवान रामेश्वरम (Rameshwar Jyothirling) का पूजन अर्चन किया गया पूर्व पार्षद श्रीमती गीता देवेंद्र पटेल ने भगवान रामेश्वर का पूजन अर्चन एवं रुद्राभिषेक किया। कोरोना महामारी के चलते श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में पूर्ण सुरक्षा के साथ प्रतिदिन द्वादश ज्योतिर्लिंग ओके पार्थिव स्वरूप का पूजन एवं अभिषेक कराया जा रहा है इस अवसर पर संबोधित करते हुए
मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने कहा कि अनादि काल से सृष्टि चली आ रही है। जिस शून्य की विज्ञान बात करता है अथवा दुनिया जिस शून्य पर नये नये शोध करती है वहीं शून्य शिव है। लेकिन शिव की कल्पना राम के बिना अधूरी है। इस बात का प्रमाण श्री रामेश्वर समुद्र तट पर स्थापित रामेश्वर ज्योर्तिलिंग है। उन्होंने कहा कि श्री रामेश्वर ज्योर्तिलिंग (Rameshwar Jyothirling) के बारे में प्रमाणित तथ्य है और किवंदती नहीं है प्रभु श्री राम माता सीता की खोज प्रमाणित हो जाने के पश्चात जब लंका की और कूच करते है जब समुद्र तट पर उन्हें प्यास लगती है। अपनी प्यास बुझाने के लिए पहले वे शिवजी की पूजन करते है और अभिषेक। लिंग धापि विधिवत करि पूजा शिव समान प्रिय मोहि न दूजा।। लंका के लिए समुद्र लांधने के लिए नल नील द्वारा बनाये जाने वाले पुल के निर्माण के समय भगवान राम ने शिव पूजन किया और कहा कि शिव के समान उन्हें कोई प्रिय नहीं है। तब से अब तक श्री रामेश्वरम में समुद्र तट पर शिव पूजन और अभिषेक होता हैं दुनिया के कई देशों के पर्यटक यहा आते है।
पं. विनोद दुबे ने कहा कि रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग के संबंध में कहा जाता है कि यहां आने पर चारों तीर्थो का फल प्राप्त होता है। रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग मंदिर विश्व में वास्तुशिल्प का अदभुत नमूना है। रेत के द्वीप पर बने इस मंदिर की कारीगरी अच्छो अच्छो को प्रभावित कर देती है। चारों ओर से मंदिर बहुत विशाल है। पं. विनोद दुबे ने कहा कि कारीगरी का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंदिर के चारों ओर की दीवार 650 फीट चौड़ी और 25 फीट ऊँची है। यहां के पत्थर से बनी नंदी ओर हाथी की मूर्तिया प्रभावकारी है।
काशी का गंगाजल रामेश्वरम में चढ़ाया जाता है। रामेश्वरम के धनुष कोटि सेतु में स्नान करके वहां का जल प्रयाग के वेणी माधव के पास त्रिवेणी स्नान संगम पर चढ़ाया जाता है जिससे चारों धाम की यात्राओं का फल मिलता है। पं. सत्येन्द्र पांडे, पं. पीयूष पांडे द्वारा रामेश्वर पूजन और अभिषेक मैं पूर्ण सहयोग दिया जा रहा है समिति की ओर से यह जवानों की व्यवस्था संयोजक अमित मौर्य द्वारा देखी जा रही है।

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