रूढि़वाद का फायदा उठाने वाले जमींदार का ऐसा अंत
भोपाल। शहीद भवन में एडमायर सोसाइटी फ़ॉर थिएटर कल्चरल एवं वेलफेयर समिति द्वारा सिंधु धोलपुरे के निर्देशन में नाटक अरण्यरुदन का मंचन किया। नाटक में महिलाओं का शोषण, अत्याचार और रूढि़वादी मानसिकता को दर्शाया है। एक जमींदार जो कामी प्रवृत्ति का है, कर्ज के तले दबी हुई गांव की महिलाओं का शोषण करता है। जमींदार की पत्नी कोई संतान नहीं थी, गांव में एक प्रथा होती है कि कोई भी बच्ची जब युवती होने की ओर कदम रखती है, तो उसे पवित्र करने के लिए देवी मानकर पूजा जाता है। जमींदार इसी रुढि़वादी सोच का फायदा उठाता है और घोषणा कराता है देवी को उसके घर में स्थापित किया जाए। इस तरह से वह गांव की कई महिलाओं का शोषण करता है। यह बात जब उसकी पत्नी को पता चलती है, तो वह कर्ज तले दबी हुई एक महिला की बच्ची को बचाने अपने जेवर और पैसे दे देती है, साथ ही वह सोचती है यह सब मेरी वजह से हो रहा है। क्योंकि मेरी कोई संतान नहीं है, अगर मैं ही ना रहूं यह सब ना होगा और वह अपनी जान दे देती है। जमीदार अपनी पत्नी का बदला लेने के लिए उस महिला की बच्ची को देवी मानकर अपने घर में स्थापित करने की घोषणा कराता है और उस महिला की असली मां पूजा के समय देवी के त्रिशूल से जमींदार को मार देती है और कहती है ऐसा आदेश देवी ने दिया है और रुढि़वादी गांव वाले उसकी बात को मान लेते हैं। नाटक में विशेष तौर पर स्लम के बच्चों को पहली बार रंगमंच की अभिनय की बारीकियां सिखाई गई हैं। उन्हें आत्मनिर्भर बनने और अपनी रक्षा करने का सामाजिक संदेश दिया गया है। नाटक में हैवी सेट नहीं रखा गया है। बल्कि कहानी पर ध्यान दिया और लाइट के माध्यम से नाटक के सीन को सजीव करने का प्रयास किया गया है। इस अवसर पर रंगकर्मी अभिनेता सुनील सोन्हिया एवं अपूर्व शुक्ला को सम्मानित किया। उल्लेखनीय है सुनील सोन्हिया एवं अपूर्व शुक्ला के निर्देशन में बनी शार्ट मूवी इंडियन फि़ल्म फेस्टिवल ओरछा में प्रदर्शित की गई तथा उत्कृष्ट निर्देशन के लिए सम्मानित किया था। वहीं चम्पा फि़ल्म में उत्कृष्ट अभिनय के लिये सुनील सोन्हिया को सम्मान मिला था।