रेलवे स्टेशन के सामने पैर पसारने लगा है अतिक्रमण

इटारसी। रेलवे स्टेशन के सामने अतिक्रमण फिर पैर पसारने लगा है। पिछले अफसरों से अतिक्रमणमुक्त शहर बनाने में जितनी रुचि दिखाई थी, वर्तमान अफसरों में वैसा जोश-जज्बा दिखाई नहीं दे रहा है। जब से नए सीएमओ ने कार्यभार संभाला है, उन्होंने कुर्सी छोड़कर बाजार में आकर अतिक्रमण देखने और हटाने की जरूरत ही महसूस नहीं की है। वे अपनी दफ्तरी नौकरी में खुश हैं चाहे शहर में कुछ भी होता रहे, उनको परवाह नहीं है। हालांकि उनका मानना है कि ऐसे अतिक्रमणकारी अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं, उनको हटाना उनको ठीक नहीं लगता। वे कहते हैं कि ऐसी योजना बनाएंगे कि अतिक्रमण भी हट जाए और इनकी रोजी रोटी भी न छिने।
रेलवे स्टेशन के सामने वर्षों से जमे दुकानदारों को हटाकर कीमती सरकारी भूमि मुक्त कराने वाले एसडीएम राजकुमार खत्री को शहर आज भी याद करता है। कभी स्टेशन के ठीक सामने दुकानें बनाकर अतिक्रमण करने वालों को यहां से हटाने के बाद यह रोड न सिर्फ चौड़ी हुई बल्कि यह रोड साफ-सुथरी भी लगने लगी थी। अब पुन: धीरे-धीरे इस रोड पर अतिक्रमण पनपने लगा है। रेलवे स्टेशन के सामने स्थित हनुमान मंदिर के साइड से गर्मी के सीजन का अवसर देखकर दो दुकानें एक ही मालिक ने लगा ली है। यह व्यक्ति एक दुकान खुद चलाता है जबकि दूसरा ठेला किराये से चला रहा है। यानी सरकारी जमीन का भी किराये पर उपयोग। सामने की तरफ कुछ पान और अन्य चीजों के टप रखे हैं जो ध्यान नहीं दिये जाने और लंबे समय तक रहने से स्थायी हो जाएंगे। हनुमान मंदिर और पेट्रोल पंप के बीच का व्यस्ततम क्षेत्र काफी भीड़ भरा रहता है और यहां अतिक्रमण के कारण न सिर्फ वाहन चालकों बल्कि पैदल राहगीरों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन अतिक्रमण के कारण इस क्षेत्र की यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है। इस क्षेत्र में चाय, नाश्ता, पान, गुटखा, फल, ठंडाई के ठेले लगने से यातायात व्यवस्था गड़बड़ा जाती है। यहां इन लोगों पर बड़े दिनों से कोई रोक नहीं लगाने से ये स्थायी कब्जा करने के मूड में आ गये हैं तो अब तो यह दबंगई भी दिखाने लगे हैं। नगर पालिका की तरफ से ढील के कारण इनके हांैसले बुलंद हो रहे हैं। स्टेशन तिराहे पर लगी फल की अवैध दुकान है। लेकिन, उक्त दुकानदार ने 15 गुणा 30 की जगह पर कब्जा जमाकर रखा है। इसके कारण यहां पर प्रत्येक दस मिनट के अंतराल में जाम लगता है। इसके अलावा हनुमान मंदिर के सामने व बाजू में बड़ी संख्या में हाथठेले लग रहे हैं जिससे यातायात अवरूद्ध होता है। खास बात यह है कि अतिक्रमण होने से यातायात प्रभावित होता है, लेकिन यातायात विभाग नगर पालिका पर जिम्मेदारी डाल देता है तो नगर पालिका यातायात विभाग पर। कुल जमा दोनों विभाग एकदूसरे पर जिम्मेदारी डालकर अपने कर्तव्य से हाथ खींच लेते हैं और शहर अतिक्रमण की चपेट में आ जाता है।
इस समस्या को लेकर जब हमने मुख्य नगर पालिका अधिकारी हरिओम वर्मा से बातचीत की तो पहले तो उन्होंने कैमरे के पीछे कहा कि गरीब लोग हंै, सड़क पर खड़े होकर रोजी रोटी चला रहे हंै, इनको चलाने दो। जब उनको कहा कि इससे यातायात व्यवस्था बिगड़ रही है, कोई दुर्घटना होती है तो कौन जिम्मेदार होगा? तो फिर कैमरे में कुछ बोलने को तैयार हुए। उन्होंने कहा कि एसडीएम और तहसीलदार से मिलकर प्लान बनाएंगे कि व्यवस्था भी सुधर जाए और इनकी रोजीरोटी भी चलती रहे।

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