लाखों श्रद्धालुओं ने लगायी पावन नर्मदा में डुबकी

होशंगाबाद। मौनी अमावस्या, सोमवती अमावस्या और सर्वार्थसिद्धि योग के संयोग पर होशंगाबाद स्थित पावन नर्मदा में लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी। वर्षों बाद बने इस अद्भुत संयोग पर लोगों ने नर्मदा में डुबकी लगायी और दान-पुण्य किया।
भक्ति, मोक्ष और पुण्य के तट पर सोमवार को मौनी अमावस्या की डुबकी लगाने के लिए आस्था की अनंत लहरों के उफान से नर्मदा का हर घाट भक्ति के सागर में डूब गया था। सड़कों से नर्मदा घाट तक हर तीर्थयात्री ही नजर आ रहे थे। एक अनुमान के अनुसार लगभग एक लाख श्रद्धालुओं के पवित्र नर्मदा में डुबकी लगायी है। भारी भीड़ को प्रशासन ने सुरक्षा के खासे इंतजाम किए थे। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी व्यवस्था पर कड़ी नजर रख रहे थे तो श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस और होमगार्ड के जवान तैनात थे। लोगों ने पावन नर्मदा में डुबकी भी लगायी और घाट पर बैठे दरिद्रनारायण की सेवा में दान-पुण्य भी किया।
धार्मिक विद्वानों के अनुसार सनातन परंपरा में माघ मास को अत्यंत पावन मास माना गया है। इस मास में विधि-विधान से स्नान-ध्यान एवं साधना का विशेष महत्व है। वैसे तो इस पूरे मास में ही स्नान-दान का महत्व है लेकिन अमावस्या के दिन इसका अत्यधिक महत्व है। यही कारण है कि इस तिथि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुख-समृद्धि और मोक्ष की कामना लिए पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं। नर्मदा मंदिर के पुजारी पं.गोपाल प्रसाद खड्डर बताते हैं कि मौनी अमावस्या का मतलब है कि एक दिन मौन रहें ताकि अनावश्यक बातों से बचें। मौनी अमावस्या, सोमवती अमावस्या और सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग कई वर्षों बाद बना है।
मौनी अमावस्या पर मान्यता है कि मन और वाणी पर नियंत्रण पाते हुए इस पावन तिथि पर स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष मिलता है। साथ ही इस दिन किए जाने वाले मौन स्नान से शरीर की सकारात्मक ऊर्जा का ह्रास भी नहीं होता है। मौन साधना से मिलने वाला पुण्य अक्षय रहता है। संतों के अनुसार मौन व्रत के बगैर मौनी अमावस्या पर स्नान करने से श्रद्धालुओं को पूरा पुण्य नहीं मिलता है। उनके अनुसार इस दिन कुंभ में स्नान का बड़ा महत्व है, यदि कुंभ नहीं पहुंच पाएं तो पावन नर्मदा में स्नान कर लें।

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!