लॉक डाउन : लगभग डेढ़ सौ विवाह समारोह हुए हैं कैंसिल

लॉक डाउन : लगभग डेढ़ सौ विवाह समारोह हुए हैं कैंसिल

इटारसी। – बैंडवाले, कैटरिंग, बारातघर, पंडित, सबको बड़ा नुकसान
– छोटे कारोबारियों की रीढ़ टूट जाएगी
– मजदूर वर्ग को सर्वाधिक नुकसान
– छोटे, बड़े सभी को राहत की आस

अगर कोरोना नहीं होता तो आने वाली 14 अप्रैल से मांगलिक कार्यों जैसे शादी विवाह की शुरूआत होनी थी। मगर, कोरोना के लॉकडाउन में 14 अप्रैल से 29 मई तक चलने वाली करीब 150 से अधिक शादियां टल गईं हैं। एक अनुमान के अनुसार आने वाले डेढ़ महीने में सराफा, बर्तन, किराना, कैटर्स, मिठाई कारीगर, रिसोर्ट, बरातघर, बैंडबाजा वाले और पंडितों का करोड़ों का नुकसान हो गया और लगभग दो हजार से ज्यादा लोगों का रोजगार छिन गया। अब इन सबको अपनी पुरानी जमा पूंजी से काम चलाना होगा।
हर साल सर्दी और गर्मी की सीजन में शादी बारातों में सराफा, बर्तन, कपड़ा, हलवाई, मिठाई, किराना, बैंडबाजे वालों और पंडितों का करोड़ों का कारोबार होता है। मगर, कोरोना के लॉकडाउन में शहर के 20 से ज्यादा बारातघरों में होने वाली डेढ़ सौ से ज्यादा शादियां स्थगित हो गईं। बारातघरों में अप्रैल और मई में होने वाली शादियों की बुकिंग कैंसिल हो चुकी है। बारातघर मलिक, हलवाई-कैटर्स, सराफा कारोबारी, किराना दुकान, पंडित, बैंड बाजे वाले, घोड़ी और लाइट कारोबारी मायूस हैं। अब इन लोगों को अपनी पुरानी जमा पूंजी से घर चलाने की नौबत आ गई है, जिनके पास जमा पूंजी नहीं है, उनके समक्ष भुखमरी की नौबत है। शादियों में काम करने वाले मजदूरों की हालत और भी अधिक खराब हो रही है।

इनका कहना है..!

sai krishna resort
यह दो माह का सीजन हमारा बैकबोन होता है। साल का 70 फीसद कारोबार इसी सीजन में होता है। आर्डर तो कैंसिल हुए, लेकिन खर्च अपनी जगह बरकरार है। वर्कर को तनख्वाह देना ही है, बिजली बिल का जो मिनिमम खर्च है, उसमें कोई कटौती नहीं, कोई लोड कम नहीं, हम जैसे मध्यमवर्गीय लोगों को बड़ा नुकसान है। सरकार को हमारे जैसे लोगों के लिए भी कोई कदम उठाने होंगे, ताकि हम इससे उबर सकें। कोरोना संकट वैश्विक समस्या है और ऐसे में लोगों की जान बचाना जरूरी है।
सत्यम अग्रवाल, रिजॉर्ट संचालक

platinum resort
शादी पार्टी का सीजन था। कई माह पहले से बुकिंग हो चुकी थी। अभी अप्रैल-मई की बुकिंग कैंसिल हुई है। आगे भी कैंसिल होने की संभावना है। सारा कारोबार चौपट हो गया है। सबसे बड़ा खर्च बिजली बिल और स्टाफ की सैलरी का है। स्टाफ की सैलरी तो हम दे रही रहे हैं, लेकिन बिजली बिल में हमे यदि रियायत मिले तो यह अच्छा रहेगा। शादियां कैंसिल हो गयी हैं, लेकिन बिजली विभाग ने जो लोड तय करके रखा है, बिल उसी के अनुसार आएगा। ऐसे में तो हमारा बड़ा नुकसान है।
रोहित बवेजा, रिजॉर्ट संचालक

bandbaja
शहर में 35-40 बैंड, ढोल और ऐसे ही वाद्ययंत्रों की पार्टियां हैं। एक बैंड पार्टी में सब मिलाकर करीब 40 सदस्य होते हैं। बड़े बैंड संचालकों ने काफी पहले से बैंड बुक कर लिए थे। अब ज्यादतर बुकिंग कैंसिल हैं। कलाकारों और लेबर को घर बैठे भुगतान करना पड़ रहा है। हमारे यहां काम करने वाले सभी बेरोजगार हो गए। करीब 40 लोगों को हमें जेब से भुगतान करना पड़ रहा है। हमारी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, ब्याज पर पैसा लेकर काम चलाना पड़ रहा है। अप्रैल और मई का सीजन ऐसा होता है, जिसमें हमारा सालभर का खर्च चलता है। प्रशासन को हमारे विषय में कुछ सोचना चाहिए।
अजय देव्हारे- संचालक ईश्वर बैंड

विवाह में खानपान की बुकिंग पहले से ही हो जाती है। कोरोना फैलने के बाद सब लॉकडाउन है। शादी बारातें ही कैंसिल हैं तो हम क्या करेंगे। उम्मीद थी कि सीजन अच्छा बीतेगा। कोरोना ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। हमारे यहां सहयोग करने वाले सभी मजदूरों की हालत भी काफी खराब है। कई के पास खाने के लाले हैं, कुछ मदद करते हैं, लेकिन हमारी भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। यही स्थिति अधिक दिन चली तो छोटे कारोबारियों के समक्ष गंभीर आर्थिक संकट खड़ा जा जाएगा।
दशरथ सिंह राजपूत -कैटरिंग संचालक

हम तो अधिक काम नहीं लेते हैं, यह जरूर है कि कोरोना संकट के कारण छोटे मजदूरों को बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है। जो स्टाल्स पर काम करने वाले, पूड़ी बेलने वाली महिलाएं, पानी पिलाने वाले और ऐसे ही वेटर का काम करने वालों के सामने ये अप्रैल-मई का सीजन ही सालभर की अधिकांश अर्थव्यवस्था करता था। अब इस वर्ष तो समझो यह सीजन ही चला गया। ऐसे में छोटे लोगों की बड़ी परेशानी है। अभी किसी तरह मदद से उनका काम चल रहा है। आगे क्या होगा, यह चिंता है।
कल्लू सेठी, कैटरिंग संचालक

अप्रैल और मई में शादियों के अधिक काम होते हैं। अब शादी-ब्याह कैंसिल हो चुके हैं। नवरात्रि में होने वाले अनुष्ठान भी नहीं हो पाए। मंदिर बंद हैं। हमारे जैसे पंडितों के अलावा हर किसी को अपने घर बैठने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है। कर्मकांडी ब्राह्मणों की स्थिति बड़ी खराब है। शहर में दो दर्जन से अधिक कर्मकांडी ब्राह्मण हैं जो शादी-विवाह के सीजन में साल के अधिकांश वक्त की व्यवस्था करते थे। इस वर्ष कोरोना के चलते उनकी रोजी रोटी पर संकट है। परिवार पालन की चिंता सता रही है।
विकास शर्मा, कर्मकांडी ब्राह्मण

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!