लोक कल्याण के लिये नदी रूप में प्रवाहित हुयी मां नर्मदा
इटारसी। संसार में जल की उपयोगिता एवं उसके महत्व से जन-जन को अवगत कराने शिवपुत्री मां नर्मदा पृथ्वी पर नदी रूप में प्रवाहित हुयी। उक्त उद्गार इंदौर के आचार्य पं. बृजमोहन उपदेशक ने नाला मोहल्ला में व्यक्त किये।
श्री रघुवर रामायण मंडल एवं गौर परिवार द्वारा आयोजित संगीतमह श्री नर्मदा पुराण तथा उत्सव के प्रथम दिवस में आचार्य बृजमोहन उपदेशक ने उपस्थित श्रोताओं को पतित पावनी मां नर्मदा के नदी रूप में प्राकट होने के महत्व से अवगत कराते हुये कहा कि मेकुल पर्वत पर तांडव करते हुये भगवान शिव के शरीर से पसीना बह निकला और वही आकर एक कुण्ड में एकत्र हो गया जिसमें से एक बालिका प्रकट हुयी जिसे भगवान शिव ने नर्मदा नाम से पुकारा और उसे लोक कल्याण के लिये नदी रूप में पृथ्वी पर प्रवाहित होने को कहा। अपने जनकदाता के आदेश पर मां नर्मदा पृथ्वी पर आई और सौभाग्य से हमारे मध्यभारत में प्रवाहित हुयी।
श्री नर्मदा कथा उत्सव के प्रथम दिवस सुबह सात बजे प्रवचनकर्ता श्री उपदेशक, भक्ति संगीतज्ञ पुरूषोत्तम महाराज, समिति संयोजक अनिल गौर एवं अन्य सदस्यों ने सेठानी घाट होशंगाबाद पहुंचकर मां नर्मदा की पूजा अर्चना कर उन्हें आमंत्रित किया और पावन जल लेकर श्रीराधाकृष्ण मंदिर मेहरागांव पहुंचे। यहां पूजा अर्चना के पश्चात प्रारंभ हुयी मां नर्मदा की जल कलश यात्रा पूरे गांव का भ्रमण करते हुये कार्यक्रम स्थल पहुंची।