वाटरिंग के 20 करोड़ के प्रोजेक्ट की फाइल, बोर्ड ने वापस लौटाई

इटारसी। रेलवे स्टेशन पर कई तरह की सुविधाएं जुटाने के लिए रेल प्रशासन प्रयास कर रहा है, लेकिन उच्च स्तर से पर्याप्त सहयोग नहीं मिल पाने से रेलवे स्टेशन को हाईटेक बनाने की दिशा में कार्य गति नहीं पकड़ पा रहा है। अब तक रेलवे जंक्शन को लिफ्ट और एस्केलेटर मिल चुका है तो यहां फ्लाईओवर, अतिरिक्त एफओबी के साथ ही दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर पर करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट तैयार किए जा रहे हैं। इन सबके बावजूद हर साल भीषण गर्मी में यहां होने वाले पेयजल संकट की ओर से उच्च स्तर पर कोई मदद नहीं मिलने से इस वर्ष भी संकट के निदान के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं।
इटारसी रेल जंक्शन पर 30 लाख लीटर पानी की रोज जरूरत है। बावजूद इसके आज भी रेलवे पानी के लिए अंग्रेजी शासनकाल के दौरान बिछाई गई 8 इंची पाइप लाइन के भरोसे हैं। इसका नवीनीकरण करने सीएंडडब्ल्यू विभाग ने 20 करोड़ रुपए का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को तीन बार भेजा, लेकिन इसे वापस लौटा दिया। गर्मी का मौसम फिर सामने है और पानी को लेकर हाहाकार मचने की आशंका है। जंक्शन पर करीब 250 यात्री ट्रेनों का दबाव है। गर्मी के अलावा साल भर जंक्शन पर पानी की मारामारी बनी रहती है। रेलवे स्टेशन पर तीन तरह से पानी की खपत होती है, पहली सातों प्लेटफार्म पर यात्रियों के लिए पेयजल आपूर्ति के लिए, दूसरी ट्रेनों से गंदे होने वाले एप्रान की धुलाई एवं करीब 80 ट्रेनों के टॉयलेट में वॉटरिंग। तीनों काम में सामान्यत: 50 लाख लीटर पानी की जरूरत है, लेकिन मिल रहा है 40 लाख लीटर।
पानी की उपलब्धता और खपत का अंतर इसलिए भी ज्यादा है चूंकि कई दशक पुरानी 6 इंची पाइप लाइन से स्टेशन की टंकिया लोड होती हैं। रेलवे की तीन टंकियां 2.5 लाख लीटर की दो एवं 4.5 लाख लीटर क्षमता की हैं, जिसमें अधिकतम 10 लाख लीटर पानी स्टोरेज किया जा सकता है। तवा से वॉटर सप्लाई फेल होने पर इमरजेंसी के लिए टंकियों में लेबल मेंटेंन किया जाता है। लगातार बढ़ रहे जलसंकट को लेकर कैरिज एंड वैगन विभाग की ओर से रेलवे मुख्यालय को 6 इंच की बजाए 18 इंची पाइप लाइन एवं भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए नई टंकियों का निर्माण के लिए करीब 20 करोड़ रुपए का प्रस्ताव साल भर पहले भेजा गया है, जो वित्तीय मंजूरी के इतंजार में अटका हुआ है। रेलवे इसे मंजूरी देने को तैयार नहीं है। रेलवे के लिए गुर्रा में तवा नदी से मेहराघाट पर मौजूद इंटकवेल के जरिए रोजाना 1 करोड़ 70 लाख लीटर पानी आता है। जहां इंटकवेल बना हुआ है वहां से 200 मीटर की दूरी पर तवा नदी की मुख्य धारा बह रही है। अभी पिछले कुछ महीनों से हालात ये हैं कि नदी के इंटरनल वॉटरिंग सिस्टम और मुख्य धारा से सीपेज होकर चल रही एक 3 फीट की नाली से रेलवे को पानी मिल रहा है। रेलवे ने यहां इंटकवेल के पास इस पतली से धारा का पानी रोका है और इसे साइफन पद्धति से लिफ्ट कर अभी रेलवे अपनी प्यास बुझा रहा है। हालांकि वह धारा भी कुछ दिनों की मेहमान है। इसके बाद रेलवे को यदि रेलवे स्टेशन पर पानी चाहिए होगा तो तवा नदी की मुख्य धारा को मोड़कर अपने इंटकवेल पर लाना होगा।

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!