इटारसी। श्री दुर्गा मंदिर परिसर शिवनगर चांदौन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा समारोह में संत भक्त पंडित भगवती प्रसाद तिवारी के श्रीमुख से सृष्टि उत्पत्ति, विराट स्वरूप का वर्णन, शिवसती कथा के साथ धु्रव चरित्र तक दूसरे दिन कथा का विश्राम हुआ।
उन्होंने कहा कि मनुष्य को ईश्वर, धर्म, सत्य, सत्संग, सेवा पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए। विश्वास की कमी के कारण मनुष्य को भक्ति, सत्संग का आनंद नहीं मिलता है। लोभ, अज्ञान के कारण मानव पाप करता है, इसलिए भक्ति का आनंद उसे नहीं मिलता है। लोग थोड़ी भक्ति, ध्यान, जाप भी करते और पाप भी करते। पाप, झूठ, अभियान छोड़कर भक्ति करे, तो भक्ति का सुख, आनंद, शांति अवश्य मिलती है। उन्होंने कहाकि संत, सद्गुरू, महापुरुषों के द्वारा हमें अज्ञान से, अविद्या, आडंबर, पाखंड से छुटकारा मिलता है। ये महापुरुष हमें जगाने आते हैं, सावधान करते हैं और फिर भी यदि हम नहीं जागे तो हमारे जीवन कोई भी दुख आ खड़ा होता है।
यदि दुख आता है तो समझो, विचार करो, खोजो कि हमें दु:ख क्यों आया, अपमान क्यों हुआ, हम से जरूर कोई न कोई गलती अवश्य हुई है। अपना आलस्य, अपना प्रमाद,अज्ञान ही हमारे सभी दु:खों का कारण है। मनुष्य का अहंकार भी दु:ख का एक कारण है। अपने आप को कुछ समझने लगता है कि मैं बहुत कुछ हूं। मुझे क्या करना है, तो वह फिर कुछ नहीं करता है और एक दिन दु:खों का सामना करना पड़ता है। आयोजन स्थल पर प्रात:काल प्रतिदिन कथा स्थल पर 6 से 7 बजे तक योग कक्षा में निरोगी काया के लिए योगासन प्राणायाम सिखाया जाता है।