विष्णु महायज्ञ : आहुतियां प्रारंभ
इटारसी। जीआरपी परिसर स्थित शिव मंदिर परिसर में श्री विष्णु महायज्ञ का 24 वें वर्ष में प्रारंभ हो गया। शनिवार को वैदिक ब्राम्हणों ने अरणि मंथन कर अग्नि का प्राकट्य किया और महायज्ञ में आहुतियां प्रारंभ की। महायज्ञ के मुख्य यजमान सेवानिवृत्त रेल पुलिसकर्मी दामोदर राव कोहले एवं उनकी पत्नी पुष्पा कोहले ने महायज्ञ में आहुतियां दी एवं पूजन अर्चन कराया। यज्ञाचार्य अशोक भार्गव के नेतृत्व में मनमोहन भार्गव, दीपक मिश्रा, अतुल मिश्रा, राहुल गोस्वामी, अमित दुबे, रामकिशोर तिवारी, आनंद त्रिपाठी ने वैदिक मंत्रों के साथ विष्णु महायज्ञ प्रारंभ कराया।
विष्णु महायज्ञ प्रतिदिन दो चरणों में होगा। प्रथम चरण प्रात: काल 8 बजे से 12 बजे तक एवं द्वितीय चरण दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक होगा। पहले वर्ष से निरंतर अपनी सेवा दे रहे रामस्वरूप मिश्रा 24 वें वर्ष में भी अत्यधिक सक्रिय दिखाई दे रहे है। श्री विष्णु महायज्ञ के अवसर पर प्रतिदिन प्रवचन भी किए जा रहे है। द्वितीय दिवस श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पं. मनमोहन शास्त्री ने बताया कि यज्ञ क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों है तथा यज्ञ करने से क्या फल मिलता है।
पं. शास्त्री ने कहा कि पृथ्वी के होने से ही जीवन है किंतु पर्यावरण को नुकसान करते हुए आज का मानव जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए हमने पर्यावरण को दूषित करना शुरू कर दिया इसका नुकसान मानव जीवन को ही उठाना पड़ रहा है। पं. शास्त्री ने समझाते हुए कहा कि ऋतुओं के विपरित आजकल पर्यावरण असंतुलित हो रहा है। जिस कारण कही अतिवृष्टि और कही ओलावृष्टि से मानव तो मानव जीव-जंतु भी परेशान है। पं. मनमोहन शास्त्री ने कहा कि त्रेता और द्वापरयुग में जंगलों में जहां-जहां गुरूकुल और आश्रम होते थे वहां पर प्रतिदिन यज्ञ में आहुतियां दी जाती थी और उन आहुतियों से इंद्र प्रसन्न होते थे तथा पृथ्वी में चारों ओर हरियाली रहती थी।
उन्होंने कहा कि जीवन में विपत्तियों का निवारण अगर करना है और मनुष्य जीवन को सुखी रखना है तो यज्ञकर्म प्रतिदिन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समस्त प्राणी अन्न से उत्पन्न होते है और अन्न वर्षा से होता है और वर्षा यज्ञ से होती है। विष्णु पुराण का उल्लेख करते हुए आचार्य मनमोहन शास्त्री ने कहा कि जिस शहर में हरि के नाम के स्मरण के साथ विष्णु महायज्ञ कराया जाता है, उस शहर या गांव में खुशहाली रहना चाहिए ऐसा पुराण कहती है। अंत में उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि विष्णु महायज्ञ हमें और आपको कुछ देकर ही जाएगा इसलिए हमें पर्यावरण, धर्म और समाज के हित में इस महायज्ञ में उपस्थिति देते रहना चाहिए। प्रवचन की समाप्ति पर आयोजन समिति की ओर से पं. दीपक मिश्रा ने आभार व्यक्त किया। महायज्ञ की आरती के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।