शतरंज के खिलाड़ी ने बच्चों को सिखाए हुनर

Post by: Manju Thakur

इटारसी। अंतर्राष्ट्रीय शतरंज खिलाड़ी एवं निर्णायक जितेन्द्र चौधरी आज इटारसी में थे। वे यहां जीवोदय संस्था में बच्चों को शतरंज की बिसात पर जीतना सिखाने आए थे। अपने जिले के बच्चों को इस खेल में आगे बढ़ाने की लालसा मन में लिए जितेन्द्र ने नन्हे बच्चों को शतरंज की बारिकी सिखाईं।
शतरंज के प्रारंभिक ज्ञान के अलावा उन्होंने बच्चों से शतरंज संबंधी सवाल भी किए। संस्था में ऐसे करीब एक दर्जन बच्चे थे जो शतरंज के विषय में जानकारी रखते हैं। जितेन्द्र ने बताया कि उनको बच्चों के बीच काफी मजा आया। उन्होंने कहा कि यहां के बच्चे अवश्य इस खेल में आगे जा सकते हैं। वे आगे भी उनको खेल के गुर सिखाने आते रहेंगे। वर्तमान में दिल्ली में रह रहे जितेन्द्र के मन में ख्याल आया कि अपने जिले के बच्चे भी इस विधा में आगे बढ़ें तो वे यहां आए हैं।
गरीब बच्चों को आगे बढ़ाएंगे
शतरंज में देश सहित विदेशों में अपना नाम रोशन कर चुके इटारसी के समीपस्थ ग्राम ब्यावरा में रहने वाले अंतरराष्ट्रीय शतरंज खिलाड़ी जितेन्द्र ने स्वयं काफी मुफलिसी में जीवन गुजारा। उन्होंने बच्चों को बताया कि उनके पिताश्री एक निजी स्कूल में चौकीदार थे, उन्होंने स्वयं बच्चों को ट्यूशन देकर खुद की पढ़ाई की और इस खेल में आगे बढ़ते रहे। गरीबी को करीब से देखा तो लगता है कि गरीब बच्चों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। जितेन्द्र ने इस दौरान बच्चों को शतरंज की किट भी प्रदान की। करीब 1 घंटे तक गरीब छात्राओं के साथ उन्होंने शतरंज के खेल की बारीकियां शेयर की। उन्होंने बच्चों को बताया कि कैसे शतरंज खेलने से आगे फायदा हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि जितेन्द्र चौधरी 2010 में इंडियन ओपन टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल प्राप्त कर चुके हैं। वे थाईलैंड, बैंकॉक, श्रीलंका सहित अन्य देशों में इंडिया का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। जितेंद्र शतरंज के अंतर्राष्ट्रीय निर्णायक के रूप में मध्यप्रदेश का जल्दी ही प्रतिनिधित्व करने वाले हैं और वह मध्य प्रदेश के सबसे कम उम्र के निर्णायक भी रहेंगे। जितेंद्र ने बताया सितंबर माह में मलेशिया में होने जा रही मलेशियन अंतरराष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे।

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