शहर में आया सियार, पकड़कर जंगल में छोड़ा

Post by: Manju Thakur

इटारसी। शहर के नेहरुगंज इलाके में एक सियार पहुंच जाने से क्षेत्र में दहशत का माहौल बन गया। एक घंटे से भी अधिक समय तक लोग दहशत में रहे। कुत्ते के जैसे दिखने वाले जानवर का जबड़ा कुछ अलग देखने के बाद लोगों को इसके वन्य प्राणी होने का अंदेशा लगा। इस बीच सूचना मिलने पर सर्पमित्र अभिजीत यादव भी पहुंचे और उन्होंने रेंजर एनएस चौहान को इसकी सूचना दी।
सियार को मोहल्ले के ही पप्पू नामक युवक ने किसी तरह से पकड़कर वन कर्मियों को सौंपा और फिर वनकर्मियों और अभिजीत ने उसे ले जाकर बागदेव के जंगल में छोड़ा। करीब आठ से दस वर्ष की आयु का सियार को इस क्षेत्र के लोगों ने एक दिन पूर्व भी देखा था। माना जा रहा है कि यह भटककर बोरतलाई तरफ से यहां आ गया होगा। रात में कुत्तों ने परेशान किया होगा तो यह एक जगह दुबककर बैठ गया होगा।

काफी सक्रिय रहता है जानवर
पशुप्रेमी अभिजीत यादव बताते हैं कि यह काफी एक्टिव जानवर है, और काफी तेज होता है। खतरा महसूस करते ही यह हमला कर देता है। सामान्यत: इसका निवास खेतों में या उसके आसपास होता है। वहीं यह चूहा, खरगोश आदि को अपना शिकार बनाता है। इसे करीब दस से पंद्रह मिनट में रेस्क्यू किया गया, लेकिन उस वक्त यह काफी सहमा था। हो सकता हो, रात में इसे कुत्तों ने घेरकर संघर्ष किया होगा और दो दिन से भूखा होगा तो काफी कमजोर होकर एक जगह बैठ गया होगा। यही कारण है कि इसे पकडऩे में अधिक परेशानी नहीं आयी।

रैबीज का रहता है खतरा
अभिजीत यादव ने बताया कि इसके काटने से रैबीज का खतरा रहता है। इसमें कुत्ते से ज्यादा रैबीज का खतरा रहता है। चूंकि यह डरा और कमजोर था, इसलिए किसी पर हमला नहीं किया। अलबत्ता सियार की मौजूदगी से ही मोहल्ले के लोगों में भय का माहौल था। माना जा रहा है कि जब यह खेतों की ओर से भटककर शहर में घुसा होगा तो इसे कुत्तों ने घेरा होगा और कुत्तों से संघर्ष में यह थककर चूर हो गया होगा। अभिजीत यादव, बलराम कंथेले, पप्पू और अन्य की मदद से इसे पकड़कर बागदेव के जंगल में छोड़ा। यह वहां भी काफी देर सुस्त बैठा रहा।

टीम थी साथ में
मोहल्ले के लोगों का कहना था कि वन विभाग को सूचना दी तो रेंजर बिना कोई साधन के मौके पर पहुंच तो गए थे, लेकिन उन्होंने इसे पकडऩे के लिए कोई प्रयास नहीं किए। मोहल्ले के ही कुछ लोगों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए इसे पकड़ा। हालांकि अभिजीत और उनके साथियों ने इसे पकडऩे में मदद अवश्य की थी। मामले में रेंजर एनएस चौहान का कहना है कि उनकी टीम मौके पर पहुंची थी। इसे जाल से नहीं बल्कि बोरा आदि डालकर पकड़ा जाता है। कोई एक व्यक्ति वहां शराब के नशे में इसे पकडऩे का प्रयास कर रहा था, जो रोकने पर भी नहीं मान रहा था।
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