संग्रहालय के साथ इतिहास दर्पण के प्रथम अंक का हुआ विमोचन

होशंगाबाद। हमारी संस्कृति हमारी धरोहर है और धरोहर को संरक्षित सुरक्षित करते हैं संग्रहालय, यह बात शासकीय नर्मदा महाविद्यालय होशंगाबाद के इतिहास विभाग में संग्रहालय के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ कामिनी जैन ने कही। विशिष्ट अतिथि डॉ विनोद निगम ने कविता के माध्यम से इतिहास के महत्व को रेखांकित किया। विशिष्ट अतिथि पुरातत्त्व संघ के सम्मानित सदस्य गोपी कांत घोष ने संग्रहालय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सुझाव भी दिये।
अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ ओएन चौबे ने इस रचनात्मक कार्य के लिए विद्यार्थियों को बधाई दी और कहा कि इतिहास हमारे आसपास बिखरा हुआ है। इतिहास के विद्यार्थियों अंकित शर्मा, अजय बावरिया, राजेश वर्मा, सुशील पंवार, छाया लहरी, रोशन शर्मा, ज्योति रघुवंशी, ज्योति भैंसारे, सोनिया नेहरा, राजा, शैलेन्द्र चौधरी, शिवांशु, शुभम के अथक प्रयासों ने शासकीय नर्मदा महाविद्यालय के इतिहास में अपना नाम अंकित कर दिया। संग्रहालय की अवधारणा और परिकल्पना को विद्यार्थियों के साथ डॉ हंसा व्यास ने साकार किया।

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डॉ व्यास ने कहा कि संग्रहालय के दस्तावेज इतिहास को प्रमाणिकता के साथ स्थापित करते हैं। दरअसल संग्रहालय इतिहास की प्रयोगशाला है, जहाँ इतिहास को समझा जा सकता है। उन्होने कहा कि पुरातत्ववेत्ता खंडहरो में सुई इसलिए तलाशता है कि आने वाली पीढ़ी निर्वस्त्र न रह जाये। इतिहास संगीत की तरह धड़कता है हमारी धड़कनो में, वो स्पंदित होता है हमारी सांसो में।आभार डॉ कल्पना विश्वास ने किया।
इस अवसर पर योगेश्वरी,पल्लवी जायसवाल,ओम प्रकाश, देव, कान्हा पाठक, ऋचा और उसके समूह द्वारा इतिहास की घटनाओं पर आधारित समाचार पत्र इतिहास दर्पण के प्रथम अंक का विमोचन किया गया। ये समाचार पत्र सिंधु सभ्यता और 1858 की घटनाओं पर केन्द्रित थे। इतिहास को सरल तरीके से समझने का यह नवाचार डॉ हंसा व्यास द्वारा किया गया। इस अवसर पर संग्रहालय के महत्व को रेखांकित करती हुई लघु फिल्म हमारी संस्कृति, हमारी धरोहर दिखाई गई। लेखन, निर्देशन डॉ हंसा व्यास ने किया, सह, निर्देशन डॉ कल्पना विश्वास ने किया विडियो ग्राफी, अजय बावरिया, राजेश वर्मा, तथा एडिटिंग अंकित शर्मा ने की। विशेष सहयोग पुरातत्त्व वेत्ता डॉ नारायण व्यास भोपाल और सांस्कृतिक संग्रहालय के डायरेक्टर पंडित शैलेन्द्र व्यास स्वामी मुस्कुराके उज्जैन डॉ राजीव शर्मा, डॉ सुधीर दीक्षित, डॉ एच एस द्विवेदी, डॉ के जी मिश्र का रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ महाकाल की पगड़ी की पूजा अर्चना के साथ डॉ के. जी. मिश्र ने किया। स्वागत उद्बोधन डॉ बी सी जोशी ने दिया।
इस संग्रहालय में पगड़ियो का रंग बिरंगा संसार के साथ प्रागैतिहासिक कालीन टूल्स, मूर्तियाँ, स्थापत्यकला के उदाहरण, प्राचीन भारतीय सिक्के, स्मारको के छाया चित्र है।

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