जनकपुरी पहुंची श्रीराम जी की बारात, सारा नगर बना बाराती
इटारसी। देवल मंदिर में श्री राम विवाह महोत्सव की शहनाइयां आज रात्रि को बजीं। यहां दो दर्जन जोड़ों ने एकदूसरे का हाथ थामकर जीवन संग बिताने सात फेरे लिए और सात वचन निभाने का वादा किया।
शाम को श्री द्वारिकाधीश मंदिर से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के साथ ही नि:शुल्क विवाह समारोह में शामिल दूल्हे राजाओं की बारात निकाली गई जिसमें हजारों नगरवासी बाराती बने और जमकर नृत्य कर खुशियां मनायी। श्रीराम विवाहोत्सव के अंतर्गत् श्री देवल मंदिर पुरानी इटारसी में कन्या भोज एवं भंडारा, आध्यात्मिक प्रवचन, देवी जागरण, बारात स्वागत, जयमाला एवं प्रीतिभोज, के बाद पाणिग्रहण संस्कार हुए।
सारा नगर बना बाराती
श्री द्वारिकाधीश मंदिर से श्रीराम बारात निकाली जो देवल मंदिर जनकपुरी पहुंची। बारात में मानो सारा नगर ही बाराती बन गया हो। बारात में सामूहिक विवाह के दो दर्जन दूल्हे भी शामिल हुए। शहर में भ्रमण करती हुई यह बारात ओवरब्रिज होती हुई पुरानी इटारसी के देवल मंदिर पहुंची। रास्ते में जगह-जगह बारात का स्वागत किया। रात में वर-वधु के जोड़े एक ही मंडप के नीचे पाणिग्रहण संस्कार के साथ परिणय आबद्ध हुए।
शहर में यह आयोजन 33 साल से हो रहा है। बीते एक हफ्ते से रामलीला के मंचन से महोत्सव की शुरूआत कर दी गई थी। मंदिर परिसर में सुंदरकांड, अखंड कीर्तन, भजन, रामसत्ता व सत्यनारायण भगवान की कथा चली। बुधवार को मंडपाच्छादन हुआ। श्रीराम विवाह महोत्सव पर श्री द्वारिकाधीश मंदिर से लेकर जनकपुरी बने देवल मंदिर में उल्लास का माहौल रहा। देवल मंदिर समिति से हर जोड़े को पांच बर्तन, पांच जेवर और विवाह के वस्त्र उपहार में दिए। यहां अब तक डेढ़ हजार से अधिक विवाह हो चुके हैं। विवाह में होने वाला खर्च शहर व आसपास के लोग धन व अनाज देकर पूरा करते हैं। शादी-विवाह में दिखावा, फिजूलखर्ची और दहेज प्रथा रोकने में यह आयोजन प्रेरणा बन गया है। मंदिर में 33 साल पहले श्रीराम विवाह उत्सव की शुरूआत हुई थी। इसके प्रेरणा स्त्रोत दिवंगत महंत दामोदार दास व सहारनपुर वाले महंत सुंदरदास रामायणी बने। धार्मिक उत्सव के दूसरे साल सामूहिक विवाह होने लगे। एक ही मंडप के नीचे अब तक दो हजार जोड़े सात फेरे ले चुके हैं। उत्सव ने हर परिवार की शादी-विवाह में होने वाली फिजूलखर्ची, दिखावा व दहेज की रस्म पर अंकुश लगाया।
श्रीराम के साथ जनकपुरी पहुंचे बाराती
गुरुवार की रात श्रीराम की बारात देखने शहर उमड़ पड़ा। दूल्हा बने राम बग्घी पर सवार हुए। द्वारिकाधीश मंदिर से बारात लेकर देवल मंदिर पहुंचे। लगभग 3 किलोमीटर की दूरी तय करने में बारात को तीन घंटे लग गए। उत्सव देखने अपार जनसमूह एकत्र था। आधी रात को देवल मंदिर परिसर में श्री राम विवाह महोत्सव की शहनाइयां बजने लगीं। आधी रात को एक ही मंडप के नीचे सारे दूल्हा-दुल्हन परिणय सूत्र में बंधे।