इटारसी। आप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कई बातों और मुद्दों की खिलाफत कर सकते हैं लेकिन उन्होंने जिस तरह सफाई को लेकर देश भर में अलख जगाई न केवल वह प्रशंसनीय है बल्कि अनुकरणीय भी है। जिन नगरपालिकाओं को लोग नरकपालिका कहते थे वे संस्थाएं अब स्वच्छता सर्वे में नंबर वन आने के लिए काफी ईमानदारी से प्रयास करती हैं। यही कारण है कि गंदगी की चपेट में घिरता जा रहा इटारसी नगर भी अब साफ होने लगा है। बावजूद इसके जो उम्मीद की जानी चाहिए, उससे शहर काफी पिछड़ गया है। स्वच्छ सर्वेक्षण की जो रेटिंग आज जारी हुई है, उसने सफाई के प्रयासों का सच सामने लाकर रख दिया है। हालात यह है कि अपना शहर टॉप 100 में आने से ही चूक गया है, जबकि पिछले वर्ष इसका प्रदर्शन बेहतर था।
आज जारी स्वच्छता सूची में इटारसी महज कुछ अंकों से टॉप-100 में आने से चूक गया। करीब 1002 नगर पालिकाओं की सूची में इटारसी को 112 वॉ स्थान मिला। मध्यप्रदेश के ही प्रमुख नगर इंदौर ने जहां देश भर में अव्वल स्थान बनाया वहीं टॉप के करीब रहने वाले भोपाल को इस साल 19 वे स्थान से संतोष करना पड़ा। इटारसी ने वेस्ट जोन में 1002 नगर पालिकाओं में 2966 अंक हासिल कर 112 वॉ स्थान पाया है तो मप्र में 346 नगर पालिकाओं में से 17 वॉ स्थान मिला। हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष का प्रदर्शन कुछ फीका सा रहा, लेकिन उसके पीछे भी कई कारण रहे हैं।
इटारसी के आगे मध्यप्रदेश के कई शहर हैं जिनसे अपनी इस सिटी का पीछे रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। स्वच्छता की कमान संभालने वाले नगरपालिका के स्वच्छता निरीक्षक सुनील तिवारी कहते हैं कि हम समीक्षा करेंगे कि हम क्यों पिछड़े हैं। नगरपालिका की टीम जिस तरह से रात को ही सफाई में जुट जाती है और हर सुबह गली-गली कचरा लेने आने वाली गाड़ी आती है वह बताती है कि इटारसी में कुछ तो बदलाव हुआ है। इटारसी नगरपालिका काफी हद तक पास हुई है लेकिन हम एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में फ़ेल रहे हैं। आखिर सफाई सामूहिक जिम्मेदारी है। अब जिम्मेदारी हम नागरिकों की भी है।